ईस्ट इंडिया टाइम्स ब्यूरोचीफ ताहिर कुरैशी


मथुरा/वृंदावन/ नगर निगम की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। एक ओर शहर के विभिन्न इलाकों में गंदगी के ढेर लगे हैं, विशेषकर अमरनाथ विद्या आश्रम मार्ग पर स्थित मछली मंडी क्षेत्र के डलावघर की स्थिति बेहद खराब है, जहां नियमित सफाई की घोर अनदेखी की जा रही है।वहीं दूसरी ओर, नगर निगम की टास्क फोर्स 7 अप्रैल को सदर बाजार तिराहा पर बिरयानी जैसे खाद्य पदार्थ बेचने वाले मेहनतकश ठेला विक्रेताओं को इस तरह धमका रही थी जैसे वे कोई आपराधिक कार्य कर रहे हों इस घटना ने उस वक्त तूल पकड़ लिया जब मौके से गुजर रहे राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष क्षेत्रपाल सिंह निषाद और बहुजन मुक्ति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कार्यकारी इसराइल मलिक ने इस कार्यवाही पर सवाल उठाए। उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों से यह पूछा कि बिना किसी जांच के, सिर्फ आधारहीन शिकायतों के आधार पर इन गरीब मेहनतकशों को उनका काम करने से क्यों रोका जा रहा है।जब टास्क फोर्स के पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं था, तब संगठन के नेताओं ने संविधान का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि जीवन यापन के लिए कार्य करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।खाद्य विक्रेताओं के पास सभी आवश्यक दस्तावेज, जैसे फूड लाइसेंस, मौजूद थे। इसके बावजूद उन्हें धमकाया गया, काम बंद करने के निर्देश दिए गए यह न केवल गैरकानूनी है बल्कि स्पष्ट रूप से संविधान विरोधी भी है।बहुजन मुक्ति पार्टी ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि नगर निगम मजदूर वर्ग का इसी तरह शोषण करता रहा, तो इसके खिलाफ जन आंदोलन किया जाएगा और संबंधित अधिकारियों पर विधिक कार्यवाही की जाएगी।
विचारणीय बात यह है कि जहां नगर निगम को शहर की सफाई और नागरिक सुविधाओं की व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, वहां वह अपनी ऊर्जा मेहनतकश लोगों को हड़काने में लगा रहा है। डलावघर जैसी जगहों से गंदगी न हटाना और बीच शहर में बदबू फैलने देना प्रशासन की नाकामी का प्रतीक है।
यह घटनाक्रम न केवल दुखद है, बल्कि यह बताता है कि कैसे गरीब तबके के लोगों को बार-बार निशाना बनाया जाता है, जबकि वास्तविक समस्याओं से मुंह मोड़ा जाता है। अब समय आ गया है कि प्रशासन संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ कार्य करे, न कि दमनात्मक रवैया अपनाए।