ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट सौरभ अग्रवाल


फिरोजाबाद/युवा कवयित्री दिव्य सृष्टि ‘दिव्या’ के 21 वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर उनकी प्रथम काव्य कृति “प्रतिबिंब” का लोकार्पण संपन्न हुआ।साहित्य भूषण डॉ. रामसनेही लाल शर्मा ने पुस्तक का लोकार्पण किया तथा लोकार्पित कृति ससम्मान दिव्या को भेंट की। कार्यक्रम का संचालन प्रिया चरण उपाध्याय, पूरन चंद गुप्ता तथा कृष्ण कुमार ‘कनक’ ने किया।
अतिथियों ने माँ सरस्वती व गणेश जी के विग्रहों पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और सरोज सौदामिनी ने मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की।
युवा कवयित्री की मां श्रीमती दयावती यादव ने पुस्तक चर्चा के क्रम में बताया कि, दिव्या आज 21 वर्ष की हो चुकी है। बचपन से ही इसे कविता लिखने का शौक है। जब, वह मात्र दस वर्ष की थी तब सत्यमेव जयते कार्यक्रम में दिखाई गई घटनाओं को कविता में ढाल दिया करती थी।
दिव्या के पिता सुभाष चंद्र यादव ने बताया कि, हमारा पैतृक गाँव जलोपुरा है। वहां, कोई भी कवि या लेखक नहीं रहा है। इसलिए, इस विषय में हम कुछ नहीं जानते थे। हम दोनों पति-पत्नी सरकारी अध्यापक होने के नाते बेटी द्वारा लिखी रचनाओं को संरक्षित करते रहते थे। बाद में उसे एक डायरी भी लाकर दी। अंग्रेजी माध्यम की छात्रा के रूप में सेंट जोंस स्कूल से दिव्या कक्षा 12 वीं की स्कूल की टॉपर रह चुकी है और उसकी हिंदी भी बहुत अच्छी थी। स्कूल के शिक्षक हरीशंकर यादव के प्रयास से वर्ष 2016 में गुँदाऊ गाँव में हुए कवि सम्मेलन में दिव्या ने पहली बार काव्य-पाठ किया। उसके बाद धीरे धीरे यह सिलसिला चलता रहा, काव्यपाठ प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान भी प्राप्त किया और जनपद तथा जनपद से बाहर की संस्थाओं ने कई बार सम्मानित भी किया। आज उसकी प्रथम कृति के लोकार्पण पर मुझे अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. श्याम सनेही लाल शर्मा ने बताया कि, प्रतिबिंब नामक दिव्या की प्रथम काव्य कृति में कुल तीन खंड हैं। प्रथम खंड नि: शब्द शीर्षक से लिखा गया है। जिसमें, कुल 23 कविताएँ हैं। द्वितीय खंड मौन मधुवन शीर्षक से है। जिसमें, 28 रचनाएँ संकलित हैं तथा अंतिम खंड अंतर्मन शीर्षक से है। इसमें, कुल छः रचनाएँ संकलित हैं। पूरी पुस्तक 111 पृष्ठों में आबद्ध है। सभी रचनाएँ दिव्या की आयु से बहुत आगे की सोच को प्रदर्शित करने वाली हैं।
डॉ. यायावर ने कहा कि, कविता की प्रतिभा जन्मजात होती है। कोई व्यक्ति जीवन की व्यस्तताओं के चलते स्वयं को कविता से कुछ समय के लिए भले ही दूर कर ले किंतु कविता कभी न कभी उसे सोते से जगा ही देती है।
वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती शीलमणि मानसिंह शर्मा ने दिव्या को शुभाशीष देते हुए कहा कि, दिव्या को माँ सरस्वती के वरदान स्वरूप भाव तथा भाषा दोनों पर अप्रतिम अधिकार प्राप्त है। निश्चित ही उसका नाम देश की धरोहर कवयित्रियों में उल्लिखित होगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य गौ सेवा सदस्य मा. रमाकांत उपाध्याय ने कहा कि, दिव्या मेरे बचपन के मित्र सुभाष की बेटी है, यही कारण है कि मैं दिव्या की काव्य प्रतिभा से उसके बचपन से ही परिचित हूँ। यद्यपि मेरी रुचि साहित्य में पहले से तो नहीं थी। किंतु, मेरे ससुर स्व. राजपति दुबे बालेंदु प्रतिभा संपन्न कवि तथा लेखक थे। उनके संपर्क से मेरे मन में भी साहित्य के प्रति सम्मान जागा। आज अपनी भतीजी की प्रथम काव्य कृति के लोकार्पण के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होने का अवसर पाकर में अत्यधिक गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूँ।
दिव्य सृष्टि ‘दिव्या’ ने अपनी पुस्तक के संबंध में कहा कि, मैं इन दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस काॅलेज में अध्ययनरत हूं। इसलिए, व्यस्तता बहुत रहती है। फिर भी नगर के कवियों के आशीर्वाद से मेरी पुस्तक आप सभी के समक्ष आई। इस हेतु मैं सभी स्वजनों की आभारी हूँ।
कार्यक्रम अध्यक्ष छंद शास्त्र के मर्मज्ञ विद्वान दयालू राम शास्त्री ‘दयालू’ ने दिव्या को आशीर्वाद देते हुए काव्यपाठ पथ पर सतत् सक्रिय रहने की कामना की और कार्यक्रम के अंत में प्रज्ञा हिंदी सेवार्थ संस्थान ट्रस्ट द्वारा संचालित अविकल्प प्राण प्रकाशन के प्रबंधक कुँ. राघवेंद्र सिंह जादौन ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया। काव्य-गोष्ठी में सरोज सौदामिनी, के.के.सिंह आमद ‘साधुपुरी’, हरीशंकर शर्मा ‘बदन’, मृदुल माधव पाराशर, यशपाल ‘यश’, धीरी सिंह बौद्ध, अतर सिंह ‘प्रेमी’, प्रमोद बाबू दुबे व अन्य कवियों ने काव्य पाठ किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से अब्दुल मुहम्मद, कमरुद्दीन, श्यामू पांडेय, विनोद यादव, जयविंद, प्रदीप फिरोजाबादी, सतीश चंद्र यादव, उत्कर्ष उपाध्याय, कुलदीप शर्मा,नीरज भारद्वाज, धर्मेन्द्र शर्मा व अन्य उपस्थित रहे।