कायमगंज/फर्रुखाबाद

विश्व बंधु परिषद द्वारा विश्व कवि गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती पर कृष्णा प्रेस परिसर में आयोजित संगोष्ठी में अध्यक्ष प्रोफेसर रामबाबू मिश्र रत्नेश ने कहा कि तुलसी का रामचरितमानस परमात्मा का ग्रंथावतार है। तुलसी के श्रीराम विग्रहवान धर्म हैं, वे धरती पर मानव के देवत्व को जगाने आए हैं। राष्ट्रधर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए संकल्पित लोकनायक हैं। गीतकार पवन बाथम ने कहा कि तुलसी का मानस संस्कारों की मंजूषा है, आचरण की सभ्यता की पाठशाला है। इसका हर शब्द मंत्र की शक्ति रखता है। प्रोफेसर कुलदीप आर्य ने कहा कि तुलसीदास युगांतरकारी संत कवि हैं उन्होंने बाहरी हमलावरों के अत्याचारों से पीड़ित जनता को अभय दान दिया उनके मानस की प्रेरणा से ही राणा प्रताप, गुरु गोविंद सिंह और शिवाजी जैसे धर्म रक्षक वीर पैदा हुए। प्रधानाचार्य शिवकांत शुक्ला ने कहा कि वामपंथियों की सनातन धर्म विरोधी साजिशों के शिकार कुछ तत्व मानस की चौपाइयों को उछाल कर सामाजिक समरसता में विष घोल रहे हैं। शिक्षक नेता जेपी दुबे, वीएस तिवारी आदि ने कहा कि भारतीय संस्कृति को बचाने में गोस्वामी तुलसीदास का अमूल्य योगदान है। भारतीय समाज उनका हमेशा कृतज्ञ रहेगा। युवा कवि अनुपम मिश्रा ने कहा कि मानस पर टीखा टिप्पणी करने से पहले समझना चाहिए कि संदर्भ से बाहर शब्द का कोई अर्थ नहीं होता, पहले संदर्भ समझो फिर शब्दार्थ करो। बाल कवि यशवर्धन ने कहा ….
खो जाती तेजस्विता मिट जाता उल्लास।
मानस की रचना न जो करते तुलसी दास।