शिक्षिका द्वारा चार्ज में नहीं होने के बाद सरकारी पैसे का बंदर बाट करने का लगा आरोप।
जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए शिक्षा अधिकारी।

दैनिक ईस्ट इंडिया टाइम्स मनोज कुमार सोनी ब्यूरो रिपोर्ट।
सोनभद्र,शक्तिनगर ग्राम पंचायत कोटा ग्राम पंचायत में कंपोजिट विद्यालय कोटा पुनर्वास में एक नया मामला सामने आया बीते दिन कंपोजिट विद्यालय बीजपुर का जींन बाहर आया ही था कि दूसरा मामला कोटा ग्राम पंचायत पुनर्वास से बाहर देखने को मिला आपको बताते चलेंगे प्रधान अध्यापिका सुशीला देवी की शिकायत कोटा ग्राम प्रधान प्रमोद तिवारी द्वारा पिछले डेढ़ सालों से लगातार की जा रही थी। म्योरपुर के खंड शिक्षा अधिकारी लगातार गोलमोल जवाब देते रहे इससे अजीज आकर ग्राम प्रधान अन्य विभाग से जिला अधिकारी से जांच करने की गुहार लगाई।जांच खंड विकास अधिकारी म्योरपुर को दी गई इस जांच में ग्राम प्रधान द्वारा प्रधानाध्यापिक सुशीला देवी पर लगाए गए दोनों आरोप सत्य पाया गया। आरोप भी ऐसे कि वह शिक्षा विभाग के मुख पर कालिख जैसे प्रतिक होता है।सुशीला देवी ने लगभग 200 बच्चों का फर्जी नामांकन कर लाभ लेती रही और विद्यालय में नाम अंकित कुल बच्चों की सूची ग्राम प्रधान को अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई सुशीला देवी जब विद्यालय के वित्तीय चार्ज में नहीं थी तब वह विद्यालय के कंपोजिट ग्रांट के कई लाखों की धनराशि का चेक अपने पति के नाम से काटकर डकार गई।यह खेल पुराने विद्यालय एसएमसी की अध्यक्ष मंजू देवी जो कि इस प्रांगण में स्थित आंगनबाड़ी में सहायिका भी है।साथ मिलकर सुशीला देवी ने सारा पैसों का गोलमाल किया गया जिसका खुलासा नई एसएमसी की गठन के बाद एसएमसी अध्यक्ष द्वारा हुआ खंड विकास अधिकारी के जांच में पुष्टि के बाद जिला विकास अधिकारी सोनभद्र ने बीएसए को उचित कार्रवाई के लिए पत्र लिखा किंतु सुशीला देवी के भ्रष्टाचार के साथ पहुंच भी इतनी है कि बीते कई मांह के बाद भी बीएसए सोनभद्र द्वारा सुशीला देवी पर कार्रवाई का हिम्मत नहीं जुटा पाया।सूत्रों के हवाले से खबर यह है खंड शिक्षा अधिकारी विश्वजीत कुमार कोटा पुनर्वास के एक शिक्षिका के रिश्तेदार जो की पूर्व बीएसए थे उनकी भी हजूरी ज्यादा करते नजर आए जबकी अपने जिले के बीएसए को कुछ नहीं समझते हैं। अब देखना यह है कि क्या जिला अधिकारी एवं मुख्य शिक्षा अधिकारी के आदेशों को पालन कर के भ्रष्ट शिक्षिका पर कार्रवाई होती है या लीपापोती। शेष अगले अंक में।
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