ईस्ट इंडिया टाइम्स राजेन्द्र सिंह धुऑंधार

कन्नौज। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा कृषकों के खेतों पर मूंगफली प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. वी. के. कनौजिया, वैज्ञानिक डॉ अरविंद कुमार व डॉ . सुशील कुमार तथा स्थानीय कृषि प्रसार तकनीकी सहायक सुरजीत कुमार व मनोज कुमार उपस्थित रहे और किसानों को तकनीक अपनाने के लिए उत्साहित किया। डॉ कनौजिया ने मूंगफली उत्पादन में अपनाई गई तकनीकी तथा उसके प्रभावों पर चर्चा की। उन्होंने बताया की स्वस्थ बीज का प्रयोग, बीजों का कार्बेंडाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचार तथा समय से बुवाई मूंगफली उत्पादन बढ़ाने में अत्यधिक प्रभावी होता है। जड़ सड़न रोकने के लिए ट्राईकोडर्मा 5 किग्रा प्रति हे. भूमि में मिलना बहुत जरूरी होता है।
डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि आलू के बाद मूंगफली की बुवाई के पूर्व बीज को राइजोबियम कल्चर तथा पी. एस. बी. कल्चर के एक एक पैकेट को 10 किग्रा बीज में पैकेट पर लिखे निर्देशों के अनुसार मिलने के बाद छाया में सुखाकर उपचार के दो घंटों में बुवाई कर देना चाहिए।
डॉ सुशील कुमार ने बताया कि फसल में 20 से 25 दिन तथा 40 से 45 दिन पर निराई तथा समय पर सिंचाई आवश्यक है। फूल निकलते, मूंगफली बनते तथा दाना भरते समय भूमि में नमी का होना जरूरी है। कृषक वीरपाल सिंह, राजू, राकेश कटियार, हरिओम, ऋषभ ने बताया कि मूंगफली की खुदाई व तुड़ाई चल रही है और जिन किसानों ने केंद्र द्वारा दी गई तकनीक व सामग्री सल्फर, कल्चर, बीज उपचार हेतु कार्बेंडाजिम, खरपतवार नाशी तथा एन. पी. के. 19:19:19 के प्रयोग से 50 से 60 किग्रा प्रति बीघा मूंगफली का अधिक उत्पादन प्राप्त हो रहा है। मूंगफली की फलन देखकर किसान अत्यधिक उत्साहित दिखे।