ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट मुजीब खान


शाहजहांपुर /बीते दिन जनपद के थाना रोजा क्षेत्र के दुर्गा इंक्लेव कालोनी में अपने 3 वर्ष के बेटे को जहर देकर पति पत्नी द्वारा फांसी पर झूलने का दर्दनाक मामला सामने आया था जिसमें मृतक व्यवसाई की पत्नी द्वारा अपने भाई के मोबाइल पर एक 33 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा गया था जिसके खुलने पर उसकी दर्द भरी दास्तान सामने आई है जिसमें उसने बताया कि घर फैक्ट्री जेवर सब गिरवी पड़ा होने के बाद भी लाखों का कर्ज सर पर था सूदखोर ब्याज की मोटी रकम वसूल रहा था किसी रिश्तेदार भाई व अन्य परिवार ने उसका कोई साथ नहीं दिया जिसके कारण उसने यह कदम उठाया। हालांकि शाहजहांपुर में यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पूर्व भी थाना कोतवाली क्षेत्र में एक व्यापारी सूदखोरों के आतंक से अपने परिवार सहित खुद को खत्म कर चुका है। जिसमें सत्ता पक्ष के बड़े बड़े नेताओं और मंत्रियों ने मौके पर जाकर सूदखोरों के खिलाफ कड़ी कार्पुरवाही किए जाने के बड़े बड़े वायदे किए जिसको लेकर कुछ दिन तक पुलिस का डंडा सूदखोरों पर बरसा लेकिन समय के साथ कार्यवाही ढीली होती गई आज फिर शहर में सूदखोर आतंक मचाए हुए जिसका परिणाम आज फिर एक हंसता खेलता परिवार सूदखोरी की भेट चढ़ गया।
विदित हो कि विगत दिवस थाना रोजा क्षेत्र में हरियाणा हैंडलूम के मालिक उनकी पत्नी और तीन वर्षीय मासूम बेटे का शव घर में मिला जिसमें मासूम की जहर देकर और पति पत्नी का शव फंदे में लटका मिला था जिसमें पुलिस ने कार्यवाही करते तीनों शवो का पोस्टमार्टम करवाया जिसमें बच्चे को कोल्ड ड्रिंक में जहर देकर व पति पत्नी द्वारा जहर पीकर फांसी लगाने से मौत का सच सामने आया है मरने से पहले मृतक ने अपनी पत्नी के भाई के मोबाइल पर एक 33 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा जिसके खुलने पर उसकी दर्द भरी दास्तान सामने आई हैं सुसाइड नोट की शुरुआत ही दिल दहला देने वाली है। सचिन ने लिखा है, ‘जब यह लेटर किसी को मिलेगा, तब तक मैं सचिन ग्रोवर, मेरी पत्नी शिवांगी, मेरा बेटा फतेह मेरी जान, मेरा जहान सबकुछ खत्म हो चुका होगा उन्होंने अपनी जिंदगी बर्बाद होने की वजह बरेली में कारोबार शुरू करने को बताया लॉकडाउन के दौरान कारोबार में भारी नुकसान हुआ और उन पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया। सचिन ने अपने सुसाइड नोट में बताया कि कैसे कर्ज से बाहर निकलने के लिए ससुराल वालों ने उनका साथ दिया लेकिन खुद के घरवालों ने नहीं उन्होंने लिखा, ‘मेरी फैक्ट्री, मेरी ससुराल का घर और उनका जेवर सब गिरवी था। तभी मेरे सास-ससुर, साले और मेरी वाइफ ने पैसों फुल सपोर्ट करके मुझे इस टेंशन से निकाला वहीं, उन्होंने अपने ही परिवार पर सपोर्ट न करने का आरोप लगाया नोट में लिखा है, ‘मेरी अपनी फैमिली ने मेरा कोई सपोर्ट नहीं किया इसके साथ सचिन के सुसाइड नोट में कई ऐसे नाम हैं, जिन पर उन्होंने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अपने भाई, चाचा और कुछ दोस्तों को भी अपनी मौत का जिम्मेदार बताया है। हालांकि, पुलिस ने अभी इन नामों का खुलासा नहीं किया है, लेकिन सुसाइड नोट के आधार पर जांच शुरू कर दी गई है। यह सुसाइड नोट बताता है कि व्यापारी सिर्फ आर्थिक तंगी से ही नहीं, बल्कि अपनों की बेरुखी और धोखे से भी परेशान था।
मृतक की सास बोलीं अधिकारियों द्वारा लोन की सब्सिडी पर मांगी जा रही थी रिश्वत
मृतक व्यापारी सचिन ग्रोवर की सास संध्या ने अपनी आप बीती बताते हुए कहा, “सचिन ने लोन एक बड़ा लोन लिया था, जिसमे करीब 50 लाख सब्सिडी मिलनी थी लेकिन सब्सिडी के लिए अधिकारियों ने 25 लाख की रिश्वत मांगी इसी वजह से वो बहुत परेशान थे। सुबह जब हम उनके कमरे में गए तो देखा कि सचिन और शिवांगी फंदे पर लटके हुए थे और उनका मासूम बच्चा बेड पर बेजान पड़ा था।
मृत बच्चे के पास पड़ी नोटबुक के फटे हुए थे तीन पन्ने
मृतक सचिन के घर में जब पुलिस पहुंची तो मृतक के पुत्र के पास एक नोटबुक पड़ी हुई मिली जिसमें से तीन पन्ने फटे हुए थे जिसको पुलिस ने अपने कब्जे में लेकर उस नोटबुक के फटे पन्नो का राज क्या है यह भी जांच में शामिल कर लिया है कि आखिर एक बच्चे के पास पड़ी नोट बुक से तीन पन्ने किसने फाड़े और क्या था इन पन्नों में क्या इसके पीछे भी कोई राज है जिसे दबाने का प्रयास किया गया है।
क्यों नहीं खोला जा रहा सूदखोर का नाम
चर्चा है कि सुसाइड नोट में मृतक द्वारा एक ऐसे रसूखदार सूदखोर का नाम है जो मृतक से प्रतिदिन दो हजार रुपए सूद वसूलता था लेकिन उसका नाम नहीं खोला गया है अब इसमें यदि सच्चाई है तो इस सूदखोर को बचाने का प्रयास क्यों किया जा रहा है क्या इस सूदखोर का प्रभाव कानून पर भारी पड़ रहा है यदि ऐसे सूदखोर को सार्वजनिक नहीं किया गया आने वाले समय में ऐसे कांडों को होने से नहीं रोका जा सकता इस लिए यदि इस प्रकार का कोई सूदखोर है तो उसका नाम सार्वजनिक होना अनिवार्य है।