रिपोर्ट संतोष मिश्र

आजमगढ़ बुढ़नपुर बीती रात क्षेत्र में आई तेज़ आंधी और मूसलधार बारिश ने किसानों पर कहर बरपा दिया। खेतों में पूरी तरह पककर तैयार खड़ी धान की फसलें धराशायी हो गईं। प्राकृतिक आपदा के इस प्रकोप से किसान गहरे सदमे में हैं, क्योंकि यह फसल ही उनका सालभर का सहारा होती है।
क्षेत्र के किसान चंडीमणि पांडे ने बताया कि “किसान की जीवनरेखा ही उसकी फसल होती है। जब वही बर्बाद हो जाए, तो मानो उसकी कमर ही टूट जाती है।” उन्होंने यह भी कहा कि खेत में तैयार खड़ी फसल अब जमीन पर बिछ गई है, जिससे उसकी गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पर भारी असर पड़ेगा।वहीं, किसान वीरेंद्र सिंह ने बताया, “धान की इस फसल के भरोसे किसान पूरे साल अपने परिवार का पेट पालते हैं। चाहे बच्चों की पढ़ाई हो, शादी-विवाह का खर्च या किसी की दवा-इलाज — सब इसी फसल की आमदनी से चलता है। अब ये फसल चौपट हो गई, तो पूरा साल कैसे कटेगा, ये सोचकर डर लग रहा है।”किसानों का कहना है कि यदि जल्द ही सरकार द्वारा मुआवज़े की व्यवस्था नहीं की गई, तो उनके लिए आर्थिक संकट और गहराएगा। स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाई गई है कि क्षति का सर्वे कर उचित राहत राशि दी जाए।
प्राकृतिक आपदा की यह मार न सिर्फ खेतों को रौंद गई, बल्कि किसानों की उम्मीदों और भविष्य को भी भारी चोट पहुंचा गई है।