ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट आदिल अमान

कायमगंज/फर्रुखाबाद
नगर के बहुचर्चित किशोरी मोना रहस्यमयी मौत मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। कोर्ट में आत्मसमर्पण करने वाले मुख्य आरोपित बाबा बिजेंद्र सिंह और मोना के चाचा विजय की निशानदेही पर पुलिस को गंगा घाट के पास रेती में झाड़ियों से मोना के कपड़े और एक कड़ा बरामद हुआ है। हालांकि, शव अब भी गायब है, और आरोपित मौत को स्वाभाविक बता रहे हैं। पुलिस ने आठ घंटे की रिमांड में आरोपितों से गहन पूछताछ की है और पांचाल घाट पर शव की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया।
करीब डेढ़ माह पहले नुनहाई मोहल्ले की 17 वर्षीय किशोरी मोना की रहस्यमयी मौत ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। मामले में आरोपित बनाए गए बाबा बिजेंद्र सिंह और चाचा विजय ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके बाद पुलिस को उनकी रिमांड मिल गई। पुलिस ने सोमवार को दोनों को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पांचाल घाट ले जाकर घटनास्थल का क्रॉस वेरिफिकेशन किया।आरोपितों की निशानदेही पर गंगा घाट के पास झाड़ियों में रेती में मोना का टॉप, प्लाजो और हाथ का कड़ा बरामद किया गया। पुलिस इन वस्त्रों की पहचान परिजनों ने मोना के ही कपड़े के रूप में की है। इन वस्तुओं को कब्जे में लेकर फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जा सकता है। पुलिस ने आठ घंटे की रिमांड के दौरान आरोपितों से मोना की मौत को लेकर कई अहम सवाल पूछे। पुलिस का कहना है कि दोनों आरोपित मौत को स्वाभाविक बता रहे हैं, लेकिन जब उनसे शव बहाने का कारण पूछा गया, तो वह चुप्पी साध गए। इस संदिग्ध व्यवहार को पुलिस गंभीरता से ले रही है। पांचाल घाट पर शव की तलाश के लिए खोताखोरों की मदद से जाल डलवाकर खोजबीन की गई, लेकिन शव नहीं मिला। पुलिस शव की तलाश में काफी देर जुटी रही। कहा जा सकता है बरामद कपड़े और कड़े से जांच को नया मोड़ मिला है, और मामले में सच्चाई सामने आने की उम्मीद बढ़ी है। इस संबंध में प्रभारी निरीक्षक/ विवेचनाधिकारी अनुराग मिश्र ने बताया दोनों आरोपितों को पांचाल घाट ले जाया गया था। जहां खोताखोरों की मदद से जाल डालकर शव को खोजने का प्रयास किया गया है। लेकिन शव नहीं मिला। आरोपित मौत स्वाभाविक ही बता रहे है। लेकिन उनकी निशानदेही पर मृतका की पहनी हुई तीन चीजे मिली है। उनको कब्जे में ले लिया गया है। अग्रिम कार्रवाई की जा रही है। मोना केस में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि अगर मौत स्वाभाविक थी तो शव को बहाने की क्या जरूरत थी? और यदि उसके मामा द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे के आधार पर हत्या हुई, तो उसे छिपाने के पीछे कितने लोग शामिल हो सकते हैं? पुलिस को अब इस मामले में वैज्ञानिक सबूतों के साथ-साथ सामाजिक तथ्यों को भी ध्यान में रखकर जांच आगे बढ़ानी होगी। मोना की मौत का सच सामने आना न केवल न्याय के लिए ज़रूरी है, बल्कि यह समाज में बेटियों की सुरक्षा के प्रति भरोसा बहाल करने का भी एक माध्यम बन सकता है।

By eid eid

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