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काली माता मंदिर रिक्खापुर्वा गांव में पिछले सात दिनों से चल रही श्रीमद भागवत कथा का रविवार को हुआ समापन

ईस्ट इंडिया टाइम्स राजेन्द्र सिंह धुऑंधार

ठठिया (कन्नौज)। काली माता मंदिर रिक्खापुर्वा गांव में पिछले सात दिनों से चल रही श्रीमद्भागवत कथा का रविवार को समापन किया गया। कथा के अंतिम दिन व्यास ने कथा का सारांश कह जीवन को जीने की कला भी समझाई। उन्होंने कई उपदेशात्मक वृतांत सुनाकर भक्तों को निहाल भी किया। काली माता मंदिर रिक्खापुर्वा में 30 मार्च से श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया गया था। श्रीधाम वृन्दावन मथुरा से आये सरस कथा वाचक पंडित विशाल मिश्रा ने कथा सुनाकर भक्तों को भाव विभोर किया। कथा के अंतिम दिन रविवार को सरस कथा वाचक पंडित विशाल मिश्रा ने सातों दिन की कथा का सारांश किया। उन्होंने बताया कि मनुष्य का जीवन कई योनियों के बाद मिलता है। इसे कैसे जीना चाहिए, यह भी समझाया। कथा वाचक ने सूर्यदेव से सत्रजीत को उपहार स्वरूप मिली मणि का प्रसंग सुनाते हुए मणि के खो जाने पर जामवंत और श्रीकृष्ण के बीच 28 दिन तक चले युद्ध और फिर जामवंती, सत्यभामा समेत से श्रीकृष्ण सभी आठ विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे प्रभु ने दुष्ट भौमासुर के पास बंदी बनी हुई 16 हजार 100 कन्याओं को मुक्त करवाया और उन्हें अपनी पटरानी बनाकर उन्हें मुक्ति दी। उन्होंने सुदामा चरित्र को विस्तार से सुनाया। कृष्ण और सुदामा की निश्छल मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे बिना याचना के कृष्ण ने गरीब सुदामा का उद्धार किया। मित्रता निभाते हुए सुदामा की स्थिति को सुधारा। गौ वध का विरोध और गौ सेवा करने पर भी जोर दिया। कथा समापन कार्यक्रम के बाद हवन और फिर प्रसाद वितरित किया गया। अंत में यजमान नीलेश कुमार और उनकी पत्नी श्रीमती किरन तिवारी ने कथा सुनने व सुनाने आये सभी लोगों का आभार जताया।
उमेश वाजपेई, रोहित तिवारी, जितेन्द्र तिवारी, गौरव त्रिवेदी, रिशू बाजपेई कन्हैया पाठक,अनुज त्रिवेदी, सुंदरम मिश्रा, अन्नू दीक्षित, नीतेश तिवारी, रामशंकर त्रिवेदी आदि लोगों का श्रीमद भागवत कथा का शुभारंभ और समापन तक पूरा योगदान रहा।

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