दैनिक ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट मनोज कुमार सोनी।

सिंगरौली/ जनपद के देवसर मे ग्राम पंचायत नौढ़िया में एक पुलिया इन दिनों चर्चा का केंद्र बनी हुई है। यह पुलिया ऐसी जगह पर बनाई गई है, जहां दोनों तरफ दूर-दूर तक सड़क का कोई अता पता ही नहीं है। पुलिया के दोनों तरफ एक एरिया खेतों से घिरा हुआ हैं और सड़क का कोई नामोनिशान तक नहीं है दिख रहा था जब इस मामले को मीडिया ने प्रमुखता से उजागर किया, तो जनपद पंचायत देवसर के सीईओ संजीव तिवारी मौके पर जांच करने पहुंचे। जांच के दौरान सरपंच और सचिव द्वारा उन्हें गुमराह करने के लिए खेतों में आनन फ़ानन मिट्टी डालकर रोड बनाकर दिखाने वह गुमराह करने की कोशिशें सामने आई हैं।
जांच के दौरान सरपंच और सचिव ने कुछ चुनिंदा ग्रामीणों को बुलाकर यह दावा किया कि यह पुलिया एक मोहल्ले को जोड़ती है और ग्रामीणों के हित में बनाई गई है। लेकिन वास्तविकता यह है कि पुलिया के दोनों छोर पर न सड़क है, न ही आवागमन का कोई रास्ता दिख रहा है यहाँ तक कि जब पश्चिमी छोर की स्थिति मीडिया द्वारा उजागर हुई, तो जल्दबाजी में उस तरफ मिट्टी डालकर एक अस्थायी सड़कनुमा ढांचा खड़ा कर दिया गया जो जांच अधिकारियों को भ्रमित करने के लिए किया गया प्रतीत होता है।
सवाल उठता है कि जब पुलिया उपयोगी है तो फिर लोग चलते क्यों नहीं?
अगर सरपंच सचिव का यह दावा मान भी लें कि पुलिया ग्रामीणों के लिए लाभकारी है, तो सवाल यह है कि उस पुलिया से कोई आवाजाही क्यों नहीं करता? पुलिया से पार जाने के बाद खेत और फसलें हैं, कोई सड़क नहीं है फिर ग्रामीण आखिर लोग कहां जाते हैं?
यह खुद एक बड़ा सवाल बनकर उभरता है, जिस पर सरपंच और सचिव अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए हैं। सीईओ संजीव तिवारी की जांच को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या वे खुद मौके पर जाकर पुलिया की वास्तविक स्थिति नहीं देख पाए? क्या बिना सड़क वाली पुलिया को ‘उपयोगी’ मान लेना सरपंच सचिव के झूठ को समर्थन देना नहीं है?
इस पूरे मामले से यह स्पष्ट होता है कि बिना योजना और उपयोगिता आकलन के ही निर्माण कार्य कराया गया है। अब यह देखना होगा कि जनपद और जिला प्रशासन इस मामले में क्या ठोस कार्रवाई करता है या फिर यह भी एक “जांच जारी है” जैसे मामलों की सूची में शामिल हो जाएगा।