फिरोजाबाद।

जनपद फिरोजाबाद में उस समय सियासी माहौल गरमा गया जब समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक अजीम भाई को पुलिस ने देर रात उनके आवास पर ही नज़रबंद कर दिया। जानकारी के अनुसार सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधि मंडल 30 सितंबर को आगरा के खंदौली के ग्राम गिजौली जाने वाला था। वहां दलित समुदाय पर हुए हमले की जानकारी लेने और पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए यह प्रतिनिधि मंडल रवाना होना था।
प्रतिनिधि मंडल में पूर्व विधायक अजीम भाई का भी नाम शामिल था, लेकिन पुलिस ने देर रात ही कार्रवाई करते हुए उन्हें घर से बाहर निकलने नहीं दिया। सुबह होते-होते थाना रामगढ़ पुलिस ने अजीम भाई सहित कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर थाना परिसर में ही नज़रबंद कर दिया। इस कार्रवाई से सपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुबह थाना रामगढ़ क्षेत्र में पुलिस और समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच जमकर नोकझोंक हुई। कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उन्हें जबरदस्ती रोका जा रहा है और लोकतांत्रिक तरीके से पीड़ितों से मिलने नहीं दिया जा रहा। इस दौरान माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया और पुलिस व कार्यकर्ताओं के बीच हॉट टॉक तक की स्थिति बन गई। इसके बाद पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए पूर्व विधायक अजीम भाई समेत सभी कार्यकर्ताओं को थाने में बैठा दिया और बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी।
इधर, शिकोहाबाद के सपा विधायक डॉ. मुकेश वर्मा ने भी पुलिस कार्रवाई पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि “पुलिस लोकतंत्र का गला घोंट रही है। हमें जबरदस्ती रोका जा रहा है। यहां तक कि यदि हम बाहर निकलने की कोशिश करते हैं तो पुलिस झूठी मुठभेड़ दिखाकर फँसाने की धमकी दे रही है।” विधायक ने प्रशासन को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यह कार्रवाई दलित समाज पर हुए अत्याचार की सच्चाई को छुपाने का प्रयास है।
गौरतलब है कि आगरा के थाना खंदौली क्षेत्र के ग्राम गिजौली में हाल ही में दलित समुदाय के लोगों पर पुलिस की मौजूदगी में हमला हुआ था। इस घटना को लेकर विपक्ष लगातार सरकार और प्रशासन पर हमलावर है। समाजवादी पार्टी ने पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए प्रतिनिधि मंडल बनाया था, लेकिन पुलिस की कार्रवाई से यह दौरा अधर में लटक गया है।
सपा नेताओं का कहना है कि चाहे जितनी भी रुकावटें खड़ी की जाएं, पार्टी दलितों और कमजोर वर्गों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करती रहेगी। वहीं, पुलिस प्रशासन की इस कार्रवाई ने राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है।