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धामपुर शुगर मिल का पिराई सत्र 2024 – 25 के लिए हुआ शुभारंभ।

रिपोर्टर अशोक कुमार के साथ मुनीश उपाध्याय

बिजनौर/धामपुर/जनपद बिजनौर की धामपुर शुगर मिल का आज पिराई शास्त्र 2024- 2025 के लिए धूमधाम के साथ शुभारंभ किया गया।
इस अवसर पर आज प्रातः 11:30 बजे शुगर मिल के प्रबंध निदेशक कुमार गोयल, ईशान गोयल, शुगर मिल के उपाध्यक्ष निष्काम गुप्ता, अध्यक्ष गन्ना समिति धामपुर रामवीर सिंह, गन्ना महाप्रबंधक शुगर मिल धामपुर ओमवीर सिंह उपजिलाधिकारी धामपुर रितु चौधरी ,पुलिस क्षेत्राधिकारी धामपुर धर्म सिंह मार्छल ,नूरपुर गन्ना समिति अध्यक्ष अमित चौधरी, चांदपुर गन्ना समिति के बाइस चेयरमैन अनुज त्यागी, एस.सी.डी.आई अमित पांडे, सचिव मनोज कोंट , धामपुर गन्ना सचिव बिजनौर ,चांदपुर ,हल्दौर, नगीना, तथा समस्त किसान यूनियन के पदाधिकारीगण दुष्यंत राणा, चौधरी कविराज सिंह ,मास्टर विजयपाल सिंह, महेंद्र सिंह, हरीराज सिंह, आदि के द्वारा संयुक्त रूप से नारियल फोड़कर धामपुर शुगर मिल का शुभारंभ किया गया । इस अवसर पर सर्वप्रथम शुगर मिल में गन्ना लेकर प्रवेश करने वाले बैलगाड़ी के कृषक लाल बहादुर सिंह निवासी ग्राम जैतरा ,ट्रिपलर कृषक श्रीमती पूनम देवी निवासी ग्राम अमखेड़ा ,ट्रॉली कृषक श्री धर्मवीर सिंह निवासी ग्राम दायम नंगला, ट्रक ड्राइवर विपिन कुमार हकीकतपुर गंगवाली केंद्र का स्वागत करते हुए सम्मानित किया गया। इसके उपरांत शुगर मिल में स्थित समस्त कांटों का विधि विधान से पूजन किया गया। तत्पश्चाप प्रशासनिक अधिकारियों कार्यक्रम में पधारे गणमान्य व्यक्तियों द्वारा गन्ना चैन में गन्ना डालकर विधिवत पेराई सत्र 2024 – 2025 का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर विभिन्न कंपनियों द्वारा स्टाल लगाकर प्रचार प्रसार हेतु एक कृषि प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। जिसमें मेरठ जेसीबी, महिंद्रा जेसीबी, महिला समूह नैंसीवाला ,महिंद्रा ट्रैक्टर कंपनी, न्यू हॉलैंड ट्रैक्टर कंपनी, सोनालिका ट्रैक्टर कंपनी, एफएमसी कोराजन, कोरमंडल, हिंद एग्रो खतौली, किर्लोस्कर मिनी एग्रीकल्चर इंजन धामपुर, ऑर्गेनिक फार्मर खेती , आदि विभिन्न प्रकार की कंपनियों द्वारा भाग लिया गया। गन्ना महाप्रबंधक ओमवीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया छोटे ट्रैक्टर किसानों को गन्ने की खेती में बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुए हैं। इसे किसानों की कृषि लागत में कमी आई है तथा ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई से लेकर कर गन्ने की निराई गुड़ाई मिट्टी चढ़ाई में बहुत उपयोगी सिद्ध हुए हैं। इस अवसर पर क्षेत्र के समस्त सम्मानित किसानों के साथ-साथ कारखाना प्रबंधक विजय कुमार गुप्ता ,मनोज चौहान ,वरिष्ठ प्रबंधक गन्ना विकास कुमार अग्रवाल महाप्रबंधक वित्त एवं लेखा विभाग , अभय शर्मा टेक्निकल जीएम ,उपेंद्र तोमर जीएम प्रोडक्शन ,तथा धामपुर शुगर मिल के समस्त अधिकारी गण उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में शुगर मिल के प्रबंध निदेशक गौरव गोयल द्वारा समस्त मीडिया बंधुओं, प्रशासनिक अधिकारियों , गन्ना माननीय व्यक्तियों तथा कृषकों का आभार व्यक्त किया गया है।

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छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण है पर्व/ ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट आदिल अमान कायमगंज/फर्रुखाबादछठ /पूजा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो विशेष रूप से पूर्वी भारत, खासकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रो में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है और इसमें सूर्य भगवान की उपासना की जाती है। जो जीव, ऊर्जा और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य है। सूर्य भगवान को जल अर्पित कर परिवार की सुख समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करना। छठ पूजा का महत्व और इतिहास है कि छठ पूजा का उल्लेख पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथो में भी मिलता है। कहां जाता है कि इस पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी, जब द्रौपदी और पांडवों ने अपनी कठिनाइयों से मुक्ति पाने और राज्य में सुख समृद्धि के लिए सूर्य भगवान की आराधना की थी। इसके अलावा यह भी मानता है कि छठ पूजा की शुरुआत सूर्य पुत्री देवी षष्ठी माता के प्रति श्रद्धा अर्पित करने से हुई थी। षष्ठी माता को बच्चों की रक्षा करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। और इसलिए महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुखद भविष्य के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। छठ पूजा का चार दिवसीय कार्यक्रम रहता है।यह चार दिवसीय अनुष्ठान कठिन नियमों और विधियों के साथ संपन्न होता है। जिसमें व्रत रखने वाले भक्त पूरी पवित्रता और श्रद्धा के साथ इस पूजा में भाग लेते हैं। इसमें प्रथम दिन ‘नहाय-खाय’ के साथ पूजा की शुरुआत होती है, जिसमें व्रती गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कर शुद्ध भोजन का सेवन करते हैं। इसके बाद दूसरे दिन ‘खरना’ मनाया जाता है। जिसमें दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को व्रती गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं। खरना के साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास भी शुरू हो जाता है। तीसरे दिन ‘संध्या अर्ध्य’का विशेष महत्व होता है। इस दिन शाम के समय व्रती अपने परिवार के साथ नदी,तालाब या किसी जलाशय में खड़े होकर डूबते सूर्य कोअर्ध्य अर्पित करते हैं। यह एक अत्यंत भावुक और भक्तिमय दृश्य होता है। जहां व्रती अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। अंतिम दिन चौथे दिन ‘प्रातः कालीन अर्ध्य’ के साथ उगते सूर्य को अर्ध्य देने का अनुष्ठान संपन्न होता है। इसके बाद व्रती पारण कर अपना व्रत समाप्त करते हैं। छठ पूजा के दौरान लोग प्रकृति के समीप रहते हैं। और इसके महत्व को समझते हैं। सूर्य की उपासना के साथ ही लोग जलाशयों की सफाई का भी ध्यान रखते हैं। इस पर्व के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और जल स्रोतों की स्वच्छता का संदेश भी दिया जाता है।

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जन शिक्षण केंद्र द्वारा संचालित ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम

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