सिंगरौली में संविधान दिवस के मौके पर किसान एवं मजदूर संघों ने अपनी मांगों को लेकर विरोध जताया।
ईस्ट इंडिया टाइम्स मनोज कुमार सोनी ब्यूरो रिपोर्ट।
सिंगरौली,जिले में संविधान दिवस के अवसर पर मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा , केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ,सीटू ,एटक और ने केंद्र सरकार की कथित श्रमिक और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ सिंगरौली जिला कलेक्ट्रेट पर धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. धरने को विभिन्न श्रमिक संगठनों और किसान नेताओं ने संबोधित किया।
चार श्रम कानूनों को वापस लेने की मांग :केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर एटक, सीटू,
और एक्टू समेत अन्य संगठनों ने केंद्र सरकार द्वारा पारित बारह श्रमिक विरोधी कानूनों को वापस लेने, न्यूनतम वेतन को 26 हजार रुपए करने और सभी फसलों के लिए C2+50 प्रतिशत फार्मूले के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी को कानूनी रूप से लागू करने की मांग की. इन मांगों को लेकर किसान और मजदूर संगठनों ने प्रदेशभर में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया।किसानों के आंदोलन की याद :संयुक्त यूनियन मोर्चा के नेता अशोक कुमार धारी ने कहा कि आज 26 नवंबर संविधान दिवस के साथ-साथ उस ऐतिहासिक दिन की भी याद दिलाता है, जब 4 साल पहले किसानों ने दिल्ली की ओर कूच किया था और राष्ट्रव्यापी हड़ताल की थी. इस आंदोलन के दौरान सात सौ से भी ज्यादा किसानों ने अपनी जान गंवाई थी, उस समय सरकार ने किसानों की मांगों को स्वीकारते हुए कानून वापस लेने की घोषणा की थी और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी समेत अन्य वादे किए थे, लेकिन चार साल बीतने के बावजूद इनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया।राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन की चेतावनी अशोक कुमार धारी ने कहा कि हर साल 26 नवंबर को केंद्र सरकार की वादाखिलाफी और श्रमिक-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया जाता है. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार अपनी नीतियों को वापस नहीं लेती तो भविष्य में बड़े स्तर पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जाएगा. धरने के बाद श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने अतिरिक्त जिला सिंगरौली कलेक्टर प्रथम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने बिना श्रमिक संगठनों से विचार-विमर्श किए श्रम कानूनों में संशोधन कर चार श्रम कोड पारित किए, जिनका उद्देश्य केवल कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाना है. इसके साथ ही सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण ने श्रमिक वर्ग में गहरा आक्रोश पैदा किया है।श्रमिक संगठनों की मुख्य मांगें चार श्रमिक विरोधी कानूनों को तुरंत वापस लिया जाए.न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए किया जाए.सभी फसलों के लिए एमएसपी को कानूनी गारंटी दी जाए.निजीकरण पर रोक लगाई जाए.श्रमिक वर्ग के मुद्दों पर विचार करने के लिए लेबर कांफ्रेंस आयोजित की जाए.संगठन के पदाधिकारियों ने ज्ञापन के जरिए बताया कि पिछले दस वर्ष से लेबर कांफ्रेंस नहीं बुलाई गई है, इससे जाहिर होता है कि केंद्र सरकार का रवैया श्रमिक वर्ग के प्रति कैसा है ?, इसलिए चार श्रमिक कोड पारित करने के दिन 26 नवंबर को देश के लिए काला दिवस मानते हुए हम केन्द्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों का विरोध करते हैं वही 12 सूत्री मांग को लेकर एनसीएल एटक महामंत्री कामरेड अजय कुमार, एनसीएल सीटू महामंत्री कामरेड पी एस पांडे , जिला सीटू महामंत्री सिंगरौली कामरेड अशोक कुमार धारी,भा का पा जिला सचिव राजकुमार दुबे, अध्यक्ष किसान सभा मध्य प्रदेश, राम लल्लू गुप्ता एवं अन्य संगठन के साथ भारी संख्या में मजदूर किसान प्रदर्शन में सैकड़ो लोग मौजूद रहें।
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