प्रशासनिक अधिकारी नहीं ले रहे हैं जनहित के मामलों में रूचि।
- सच सामने आने के उपरांत भी लटकाए जा रहे हैं जनहित से संबद्ध मामले।
मुनीश उपाध्याय।
बिजनौर/धामपुर:- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भले ही जन समस्याओं के स्थानीय स्तर पर समाधान कराये जाने हेतु पूरे उत्तर प्रदेश में संपूर्ण समाधान दिवस एवं संपूर्ण समाधान थाना दिवस का आयोजन किया जा रहा है। परंतु उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता एवं कर्तव्य हीनता के कारण आम जनता द्वारा जनहित में की गई शिकायतों का जांच में शिकायत सही पाए जाने के उपरांत भी निस्तारण नहीं किया जा रहा है। जिस कारण समाज हित में जनहित में कार्य करने वालों का कानून एवं प्रशासनिक अधिकारियों से भरोसा ही उठता जा रहा है। जनहित समस्याओं के संबन्ध में अनेकों बार प्रशासन को प्रार्थना पत्र दिए जाने के उपरांत भी समस्या का निस्तारण ने किए जाने के कारण अंत में शिकायतकर्ता हार थक कर बैठ जाता है। इतना ही नहीं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जनहित के संबंध में प्राप्त शिकायत के प्रति लापरवाही बरतने के कारण निस्वार्थ जनहित के संबन्ध में की गई शिकायत शिकायतकर्ता के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन जाती है । इसका मुख्य कारण यह है कि शिकायत करने के उपरांत शिकायत की सूचना प्रतिपक्षी आरोपी व्यक्ति को प्राप्त हो जाती है। जिससे आरोपी व्यक्ति शिकायतकर्ता से रंजिश रखने लगता है। यह भी प्रकाश में आया है कि आरोपी व्यक्ति शिकायतकर्ता को ब्लैकमेलिंग संबन्धित आरोपों में फंसाते हुए शिकायतकर्ता के विरुद्ध फर्जी व झूठे मुकदमे लिखवा देता है। इस प्रकार के मुकदमों में विशेषता यह रहती है कि गवाह भी आरोपी व्यक्ति के नौकर,परिजन ही बनाये जाते हैं। जिस कारण आरोपी व्यक्ति उसे दिन को कोसने लगता है जब उसके द्वारा कानून में प्रशासन पर भरोसा करके जनहित में शिकायत की गई थी। यहां पर मुख्य प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि जिस व्यक्ति द्वारा जनहित को ध्यान में रखते हुए लिखित रूप से शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों को दी जाती हो। तथा जिसका निस्तारण कानूनी रूप से प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किया जाना निश्चित हो उसके पश्चात क्या शिकायतकर्ता के हाथ में शिकायत के निस्तारण को रोकना होता है ? शिकायत का निस्तारण किया जाना अथवा न किया जाना सीधा संबंधित प्रशासनिक अधिकारी के हाथ में होता है। फिर भला शिकायतकर्ता किसी व्यक्ति को ब्लैकमेल कैसे कर सकता है? ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों तहसील क्षेत्र धामपुर में स्थित गौशाला के संबन्ध में प्रकाश में आ चुका है जिसमें धामपुर निवासी अशोक कुमार पिछले पच्चीस वर्षों से शिकायत करता चला आ रहा है। जिसका प्रशासन द्वारा निस्तारण नहीं किया गया था। जिसको पिछले दिनों आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा नगीना लोकसभा क्षेत्र के सासंद चंद्रशेखर आजाद द्वारा डीएम बिजनौर अभिषेक कुमार झा के समक्ष उठाया जा चुका है। जिसके परिणामस्वरूप धामपुर स्थित गौशाला की भूमि के संबन्ध में कार्यवाही किए जाने की उम्मीद जागी है। इसी प्रकार से धामपुर नगर में जनहित की सम्पत्ति पर किये गये अवैध निर्माण व अवैध कब्जे से संबन्धित मामले प्रशासन के पास लंबित पड़े हैं। जिन पर प्रशासनिक उदासीनता के कारण निर्णय नहीं हो पा रहा है। क्या इस प्रकार के मामलों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी अथवा किसी विधायक अथवा सांसद की शिफारिश की आवश्यकता पड़ेगी? या फिर संबन्धित प्राशसनिक अधिकारी अपने विधिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए स्वत: शिकायत का निस्तारण करेंगे।
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