ईस्ट इंडिया टाइम्स राजेन्द्र सिंह धुआँधार/

कन्नौज/करीब हफ्ता भर पहले कलेक्ट्रेट पहुंचे राजस्व अधिवक्ता संघों के अधिवक्ताओं ने कलेक्ट्रेट व तहसील न्यायालयों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुये अधिकारियों की मनमानी रोकने के लिये डीएम से गुहार लगायी थी। कोई कार्रवाई न होने से खफा वकील कलेक्ट्रेट पहुंचे और बैठक कर चार जनवरी तक न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया। वकीलों का कहना था कि लापरवाही व भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कार्रवाई न होना चिंताजनक है। लायर्स बार एसोसिएशन के वकीलों ने 26 दिसंबर को कलेक्ट्रेट पहुंचकर डीएम, एडीएम, एसडीएम कोर्ट और रजिस्ट्रार आफिस में भ्रष्टाचार व्याप्त होने के आरोप लगाये थे। वकीलों का कहना था कि साक्ष्यों के बावजूद अधिकारी मनमाने तरीके से कारर्वाई करते हैं। इस पर लगाम लगनी चाहिये। एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज पांडे का कहना था कि जिलाधिकारी कोर्ट से लेकर तहसीलदार कोर्ट तक भयंकर भ्रष्टाचार व्याप्त है। पैसे लेकर अधिकारी मनमाने तरीके से मामलों में आदेश जारी कर देते हैं। वह लोग न तो वकीलों की सुनते हैं और न ही साक्ष्यों पर गौर करते हैं। सरकारी दफ्तरों के कर्मचारी खुलेआम भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन पर कोई अंकुश नहीं लग रहा है, जिससे आमजनमानस, किसान और नौजवान परेशान है। यदि अफसरों व कर्मचारियों ने भ्रष्टाचार बंद न किया तो वह लोग आंदोलन करने पर विवश होंगे।वकीलों की चेतावनी के बाद भी जब भ्रष्टाचार व अधिकारियों की मनमानी पर लगाम नहीं लगी तो गुरुवार को फिर अधिवक्ता कलेक्ट्रेट पहुंचे। यहां राजस्व अधिवक्ता संघों की संयुक्त बैठक हुयी, जिसमें राजस्व अधिवक्ताओं ने करीब हफ्ता भर पहले जिलाधिकारी को दिये गये ज्ञापन में बतायी गयी समस्याओं के निराकरण के लिये कोई पहल न किये जाने पर चिंता जताई। बाद में अधिवक्ता संघों की ओर से दिये गये ज्ञापन में वर्णित समस्याओं का निराकरण न कराये जाने के विरोध में न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया गया। साथ ही चार जनवरी को इसी मामले को लेकर दोबारा बैठक कर आगे की रणनीति तय की जायेगी। इस दौरान लायर्स बार के महामंत्री शिवकांत सैनी, रामबाबू राठौर, अजय यादव, बैकुंठनाथ दुबे, शिवम मिश्रा, योगेंद्र कटियार, नाजिम अख्तर आदि अधिवक्ता मौजूद रहे।

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