रिपोर्ट सुदेश वर्मा

बागपत/ बडौत/ बिनौली कस्बे के प्राचीन शिव मंदिर परिसर स्थित रामलीला मैदान सोमवार की रात भक्तिभाव और उत्साह से गूंज उठा। यह दृश्य तब और भी रोमांचक हो गया जब हनुमानजी ने अपनी पूंछ में लगी आग से पूरी लंका का दहन कर दिया।
श्री प्रेम मंडल रामलीला कमेटी के तत्वाधान में आयोजित रामलीला का मंचन निदेशक प्रवीण ऊर्फ पप्पन गुप्ता के निर्देशन में हुआ। कलाकारों ने श्रीराम द्वारा सुग्रीव का राज्याभिषेक, लक्ष्मण-सुग्रीव संवाद और वानर सेना को माता सीता की खोज हेतु भेजने का दृश्य जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। दर्शक हर दृश्य में मंत्रमुग्ध होकर शामिल होते रहे।
विशेष रूप से गिद्धराज जटायु का संवाद और हनुमान का समुद्र पार कर लंका पहुंचना दर्शकों के लिए रोमांचक पल साबित हुआ। अशोक वाटिका में माता सीता से मिलकर हनुमान द्वारा प्रभु श्रीराम की अंगूठी दिखाना दर्शकों को भावविभोर कर गया। इसके बाद रावण पुत्र अक्षय कुमार का वध, मेघनाद द्वारा हनुमान को बंदी बनाना और रावण दरबार में ले जाना दर्शकों के लिए यादगार अनुभव रहा।
रामलीला का चरमोत्कर्ष तब आया जब मंत्रियों की सलाह पर हनुमान की पूंछ में आग लगाई गई और उन्होंने पूरी लंका जला दी। यह दृश्य इतना जीवंत और प्रभावशाली था कि पूरा रामलीला मैदान “बजरंगबली की जय” और “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा। कार्यक्रम के आयोजन को सफल बनाने में कमेटी अध्यक्ष गुलबीर धामा, संयोजक विनय धामा, मोनू वर्मा, रवि भाटिया, सोनू भाटिया, जितेंद्र दहिया, महेश, राहुल कश्यप, राजू, संजीव जांगड़ा, अनिल धामा समेत अन्य सहयोगियों ने अहम योगदान दिया।रामलीला का यह मंचन न केवल दर्शकों के लिए मनोरंजन का अवसर बना बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक शिक्षा का भी अनुभव प्रदान किया।

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