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फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र मार्कशीट,टी सी, बनाने वाला गिरोह चढ़ा पुलिस के हत्ते

ईस्ट इंडिया टाइम्स ब्यूरोचीफ ताहिर कुरैशी

मथुरा। कोतवाली पुलिस ने फर्जी दस्तावेज बनाने वाले गिरोह को गिरफ्तार करके जेल भेजा।कोतवाली पुलिस को मुखबिर द्वारा सूचना मिली की मथुरा शहर में फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गिरोह का एक सदस्य गोवर्धन चौराहे पर किसी ग्राहक की तलाश में खड़ा है इस सूचना पर कोतवाली पुलिस द्वारा गोवर्धन चौराहे से अभियुक्त मुकेश पुत्र देवीराम निवासी ग्राम चुरमुरा थाना फरह जिला मथुरा को गिरफ्तार किया गया जिसके कब्जे से फर्जी मार्कशीट व मोबाइल सैमसंग गैलेक्सी ए-13 बरामद हुआ। गिरफ्तारशुदा अभियुक्त मुकेश उपरोक्त से कड़ाई से पूछताछ की गई तो बताया कि हमारा एक फर्जी मार्कशीट बनाने का गिरोह है हम लोगों ने बजरंग धर्मकांटा के पास एक निजी मकान किराये पर ले रखा है जिसमें पूरा फर्जी मार्कशीट बनाने का सैटअप लगा रखा है तत्पश्चात कोतवाली पुलिस द्वारा बजरंग धर्मकांटा के पास बने मकान में से अभियुक्त मुकेश उपरोक्त की निशानदेही पर अभियुक्तगण 1.मनीष प्रताप 2. सुरेश चन्द्र 3. ऋषि 4. रामप्रकाश को गिरफ्तार किया गया। अभियुक्तगणों से पूछताछ के दौरान ज्ञात हुआ कि अभियुक्त मनीष प्रताप सिंह उर्फ माँगेराम उपरोक्त गैंग का सरगना है जिसके द्वारा अलग अलग राज्यों के शिक्षा बोर्डों व विश्वविद्यालयों के नाम से फर्जी मार्कशीट व टी.सी. व अन्य शैक्षिक प्रमाण पत्र कम्प्यूटर पर साफ्टवेयर के माध्यम से बनाने का कार्य किया व कराया जाता है और इससे मोटी रकम वसूली जाती है। अभियुक्त मनीष प्रताप सिंह उर्फ माँगेराम उपरोक्त द्वारा बताया गया कि कुछ दिन पूर्व मैं यही काम अपने साथियों के साथ लखनऊ में कर रहा था लेकिन पुलिस द्वारा साथियों को पकड़ लिया गया था तथा मैं मौके से फरार हो गया था। अब मैं यह काम मथुरा से कर रहा था। मौके से फर्जी मार्कशीट / शैक्षणिक प्रमाण पत्र तैयार करने सम्बन्धी इलैक्ट्रानिक उपकरण / / ब्लैंक पेपर इत्यादि बरामद हुये ।
अपराध करने का तरीके- अभियुक्तगणों के द्वारा युवाओं की तलाश कर संपर्क स्थापित करके सम्बन्धित विश्वविद्यालयों / शिक्षा बोर्डों से अलग-अलग रेट तय कर वार्षिक दर से फर्जी शिक्षा प्रमाण पत्र / अंकतालिका / टी.सी. तैयार करते थे। तथा फर्जी तरीके से उनको शैक्षिक अंकपत्र / टी.सी. / अन्य शैक्षिक प्रमाण पत्र प्रदान कर मोटी रकम बसूलने का कार्य करते थे। जिनके अन्तर्गत कुछ विश्वविद्यालय / बोर्ड भी संलिप्त होते थे । उनके विरूद्ध भी कार्यवाही अलग से प्रचलित है। इस कार्य के लिए प्रत्येक युवा से 01 फर्जी मार्कशीट / अंकपत्र के लिए के लिए 5000/- से 45000/- तक की रकम बसूलते थे। जिसका आधा हिस्सा ये लोग यूनिवर्सिटी को भी देते पुलिस ने कानूनी कार्रवाई कर जेल भेजा

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