ईस्ट इंडिया टाइम्स राजेन्द्र सिंह धुऑंधार

कन्नौज। दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर में आयोजित राम कथा के सातवे दिन आचार्य पंडित श्याम जी द्विवेदी ने कहा कि राजा जनक ने अपनी बेटी सीता के विवाह के लिए धनुष एक का आयोजन किया उसमें देश-विदेश से हजारों राजा महाराजा शिव के धनुष को तोड़ने के लिए स्वयंवर मेंआए सभी ने पूरी ताकत से धनुष तोड़ने की कोशिश की लेकिन कोई भी राजा महाराजा धनुष को हिला तक न सका यह देख राजा जनक चिंतित हुए वह बोले मुझे लगता है कि पृथ्वी पर कोई ऐसा वर नहीं जो इस धनुष को तोड़कर सीता से स्वयंवर रचाए मुझे तो पूरी पृथ्वी खाली नजर आती है वही गुरु विश्वामित्र के साथ राम और लक्ष्मण बैठे हुए थे लक्ष्मण ने जब यह बात सुनी उन्हें क्रोध आ गया और कहने लगे साजन आपके हैं बात कैसे कर सकते हो अगर गुरुजी और बड़े भ्राता मुझे आज्ञा दे तो धनुष तोड़ना अलग बात पूरा ब्राह्मण उठा सकता हूं जल में परिवर्तित कर सकता हूं इस प्रकार लक्ष्मण जी के कठोर वचन सुनकर गुरु विश्वामित्र में उन्हें बैठने का इशारा की है तत्पश्चात पर राधा पुरुषोत्तम राम गुरु विश्वामित्र को प्रणाम करते हुए खड़े होकर धनुष को तोड़ दिया जैसे ही राह में दिल उसको तोड़ा जनकपुरी में आयोजित सीता स्वयंवर में सीता ने प्रभु राम को वर माला पहनाई
इस दौरान सुभाष कटियार, सदभाव शुक्ला, रीतेश कटियार एडवोकेट, जगदीश वर्मा, अमित वर्मा, विनोद वर्मा, पीयूष दुवेदी, मोती लाल पाण्डेय केशव यादव, हरी शुक्ल, रहे