ईस्ट इंडिया टाइम्स ब्यूरो रिपोर्ट

लखीमपुर / जनपद के डीएम कार्यालय में उस समय हर एक मौजूद व्यक्ति की आंख नम हो गई जब एक गरीब मजबूर पिता अपने नवजात बच्चे के शव को एक झोले में रखकर डीएम कार्यालय पहुंचा और वहां मौजूद अधिकारियों से रो रो कर गुहार लगाई कि गुलदार अस्पताल में पैसे की कमी के चलते की गई लापरवाही ने उसके बच्चे की जान ले ली है साहब आप लोग इसे जिंदा कर दो युवक की दुखभरी चीत्कार से डीएम कार्यालय में सन्नाटा छा गया जनपद के तेज तर्रार जिला अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने मामले में तुरंत संज्ञान लेते हुए सीएमओ के साथ अधिकारियों को भेजकर अस्पताल को सील करने की कार्यवाही करवाने के साथ उसकी पत्नी के पूरे इलाज की जिम्मेदारी ली ।
पीड़ित शख्स ने अधिकारियों को बताया कि उसकी पत्नी ने एक निजी अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन अस्पताल की लापरवाही ने उनके बच्चे की जान ले ली। इस दौरान उसकी पत्नी की भी हालत बिगड़ गई। बेबस और लाचार पिता ने अधिकारियों से अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। वहीं जिलाधिकारी ने भी तत्काल एक्शन लेते हुए अस्पताल को सील कर दिया।
यह पूरा मामला महेवागंज स्थित गुलदार अस्पताल का है। पीड़ित युवक ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने इलाज के दौरान पैसों की मांग की और इलाज में लापरवाही की जिस वजह से महिला के नवजात बच्चे ने दम तोड़ दिया। पीड़ित युवक का आरोप है कि जब अस्पातल प्रशासन को पैसे नहीं मिले तो उन्होंने बच्चे की माता को बाहर कर दिया जिससे कि महिला की हालत बिगड़ गई। इसके बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया।
जानकारी के अनुसार लखीमपुर खीरी जिले के भीरा थाना क्षेत्र के गांव नौसर जोगी के रहने वाले विपिन गुप्ता की पत्नी रूबी गुप्ता गर्भवती थीं। 19 अगस्त को रूबी को लेबर पेन हुआ जिसके बाद उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिजुआ में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि अभी डिलीवरी का समय नहीं है और उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। इस दौरान रूबी की बहन ने गांव की आशा बहू दीपा से संपर्क किया। दीपा ने रूबी को महेवागंज स्थित गुलदार अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी। बुधवार की रात ही रूबी को यहां अस्पताल लाया गया। अस्पताल प्रशासन की ओर से 10 हजार रुपए नार्मल डिलीवरी के और 12 हजार रुपए सर्जरी के लिए मांगे गए। परिजनों का आरोप है कि रूबी की हालत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने से पहले 25 हजार रुपए जमा कराने की बात कही। रूबी के पति बिपिन गुप्ता ने 5 हजार रुपए जमा करा दिए और बाकी पैसे अगले दिन देने की बात कही, लेकिन डॉक्टरों ने इलाज में देरी की। इसके बाद जब पैसे नहीं आए तो डॉक्टर्स ने हाथ खड़े कर दिए और महिला को अस्पताल से बाहर कर दिया गया।
सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं धड़ाम प्राइवेट अस्पताल काट रहे मौज
यह हृदयविदारक घटना उस उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर की है जहां की सरकार और पड़ोसी जिले के निवासी प्रदेश सरकार उपमुख्यमंत्री के साथ स्वास्थ्य मंत्री भी के द्वारा प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को अत्यधिक बेहतर बताते रहते है उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा चुकी है लोगो का सरकारी अस्पतालों में इलाज संभव नहीं होने के कारण मजबूरन प्राइवेट अस्पतालों में शरण लेनी पड़ती और लेकिन प्रदेश के सभी जनपदों में कुकुरमुत्ते की तरह उग आए प्राइवेट अस्पताल सिर्फ लूट पर आमादा है जिनकी नजर में मानव जीवन की कोई कीमत नहीं उनकी नजर सिर्फ मरीजों के तीमारदारों की जेब पर रहती है जब तक उनके पास पैसा है तब तक इलाज होता है जब पैसा खत्म तो मरीज को बाहर निकालने में देर नहीं करते।