ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट आदिल अमान

कायमगंज/फर्रुखाबाद
अनुगूंज साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में एच ओ अकैडमी के सभागार में काव्य समारोह का आयोजन हुआ जिसमें विख्यात नवगीत कार राजेश हजेला का अभिनंदन किया गया तथा हरि गोविंद शाक्य की पुस्तक ‘रंग-बिरंगे फूल चमन के’ का लोकार्पण किया गया। समारोह की अध्यक्षता प्रोफेसर रामबाबू मिश्रा रत्नेश ने तथा संचालन गीतकार पवन बाथम ने किया।
आयोजित कवि सम्मेलन में नवगीत कार राजैश हजेला ने कहा
आयातित मुस्कानों से जी रहे हम।
उधड़े संबंधों को सी रहे हम।।
गीतकार पवन बाथम ने अपने गीत प्रस्तुत करते हुए कहा
भीड़ में अकेले में मन रहा उदास। होठों पर बनी रही अनबुझ सी प्यास।।
प्रोफेसर रामबाबू मिश्र रत्नेश ने कहा
जनता की सुर्खी छलपूर्वक भर अपने चेहरों में।
बांट रहे नेता भाषण अंधे गूंगे बहरों में।।
हरगोविंद शाक्य ने कहा
घूम के देखी दुनिया सारी नहीं दूसरे ठावं हैं।
चंदन है इस देश की माटी कुंदन इसके गांव हैं।। व्यंग कर मनीष गौड़ ने कहा
जब कुएं में कूदना ही है तो गहराई नापने से क्या फायदा। डॉ सुनीत सिद्धार्थ ने प्रस्तुति इस प्रकार है
80 करोड़ जनता को सरकारी राशन का गुलाम बना दिया।
राघव किशोर ने कहा
बने हैं सारे कानून देश की अवाम के लिए
सियासत के लिए कोई विधान नहीं होता है। शिव स्वरूप चौबे ने दोहे के माध्यम से कहा
भाव भूमिगत हो गए रिश्ते हो गए खेल ।
अब घर-घर में पल रही नफरत की विष बेल।।
गोष्टी के आयोजक शिवकांत शुक्ला ने आधुनिक साहित्य पर विचार व्यक्त किये और धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में खास तौर पर अहिवरन सिंह गौर, संत गोपाल पाठक ,राजवीर सिंह शाक्य एडवोकेट आदि उपस्थित रहे।

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