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देवाधिदेव अतिश्यकारी चंदाप्रभु भगवान का मासिक महाभिषेक बडे़ हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

रिपोर्ट सुदेश वर्मा

बागपत/ बडौत /बिनौली में अतिशय क्षेत्र बरनावा की पावन पुनीत धरा पर दशलक्षण पर्व में धर्म की अद्भुत प्रभावना चल रही है। इस अवसर पर देवाधिदेव अतिश्यकारी चंदाप्रभु भगवान का मासिक महाभिषेक बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । सर्वप्रथम चतुर्थकालीन अतिशयकारी चंद्रप्रभु भगवान भगवान का अतुल जैन, संयम जैन, अभय जैन सरिता विहार दिल्ली सपरिवार दवारा मस्तकाभिषेक किया गया और उसके उपरांत रिद्धि-सिद्धि-समृद्धि को प्रदान करने वाले शांति मंत्रों के द्वारा भगवान के ऊपर शांति धारा की गई। दायी और से शांति धारा के पुण्यार्जक परिवार के रूप में अतुल जैन संयम जैन अभय जैन दिल्ली एवं वायी और से शांतिधारा का सौभाग्य महिपाल जैन अंकित जैन मुज़फ्फरनगर परिवार को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ। परिमार्जन सुमत प्रसाद जैन, हंस जैन, पंकज जैन, नीरज जैन मेरठ, महाआरती मुकेश जैन श्रीमती मनी जैन रहे है। इसके बाद नित्य एवं नैमित्तिक पूजन की गई। श्री चंद्रप्रभ विधान में श्री जी को 72 श्री फल अर्पित किये गए है।पंडित बाल ब. प्रदीप पीयूष शास्त्री जबलपुर ने अपने उद्बोधन में कहा- अर्हद् भक्ति की की बहुत ही महिमा है । वह भक्ति ही है जिससे जीवन में व्यक्ति अपने आराध्य से जुड़ता है । परमात्मा की भक्ति, प्रभु की भक्ति, आराध्य देव की भक्ति, अनेक प्रकार से की जाती है । कोई इसे प्रार्थना कहता है, कोई पूजा कहता है, कोई स्तवन कहता है, तो किसी के लिए वंदना है, किसी के लिए नमस्कार है । यह सब भक्ति के ही स्वरुप है। आचार्यौंने आचार्य ने भक्ति के 12 भेद बताएं । इसलिए उन्होंने 12 भक्तियों की रचना की । जिनेंद्र भगवान तीन लोक के स्वामी हैं, सर्वोत्कृष्ट हैं, केवल ज्ञान ज्योति से प्रकाशमान है, आनंत चतुष्टय के धारी हैं एवं पाप पुण्य से रहित हैं सुख-दुख से रहित हैं इसलिए उनकी भक्ति करने के लिए आचार्य ने कहा क्योंकि उनकी भक्ति करने से भक्त भी उन्ही के जैसा ही हो जाया करता है । वह सब झंझटों से परे हो जाया करता है । जग के जन्जालों से उसका कोई लेना देना नहीं होता । इसलिए व्यक्ति को अपनी आत्म गुणों की प्राप्ति के लिए, उन गुणों के चिंतन और मनन करने के लिए, अपने आराध्य के गुना का स्मरण और भक्ति करना सर्वोपयोगी माना गया है भगवान के गुणों के प्रति हमारा आकर्षण हमारे पिछले कर्मों को तो हटता ही है साथ ही साथ हमारा मन आत्म चिंतन आत्म निरीक्षण आत्म अवलोकन की ओर झुकने लगता है हम आत्म कल्याण की ओर अग्रसर होने लगते हैं।
इस मौके पर महामंत्री पंकज जैन, कुणाल जैन,रजनीश जैन, अशोक जैन, डॉ संजीव सौगानी, संजय जैन, विद्या जैन, श्रीमती शशि जैन,नीलम जैन, सपना जैन, नीतू जैन, डॉ रिद्धि जैन, डॉ स्वस्ति जैन, विभूति जैन, शालू जैन, ईशा जैन,सहारनपुर जैन समाज एवं अन्य जगह से अनेक गणमान्य लोग पधारें।

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