ईस्ट इंडिया टाइम्स राजेन्द्र सिंह धुऑंधार

कन्नौज। अटारा स्थित बाबा ब्रह्मदेव स्थान पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में तीसरे दिन मंगलवार को आचार्य कुलदीप कृष्ण शुक्ल ने मनुष्य जीवन का महत्व समझाते हुए भगवान की भक्ति में अधिक से अधिक समय देना चाहिए।उन्होंने बताया कि,भगवान विष्णु ने पांचवा अवतार कपिल मुनि के रुप में लिया। उन्होंने बताया कि, जीवन को सफल बनाने के लिए कथा श्रवण करने से जन्मों का पाप कट जाता है।उन्होनें ध्रुव चरित्र की कथा के बारे में भक्तों को विस्तार से वर्णन करते हुए बताया कि भक्ति में दिखावा नहीं होना चाहिए। उन्होंने जड़ भरत का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि, जड़भरत का प्रकृत नाम भरत है, जो पूर्वजन्म में स्वायंभुव वंशी ऋषभदेव के पुत्र थे। मृग के छौने में तन्मय हो जाने के कारण इनका ज्ञान अवरुद्ध हो गया था जिससे ये जड़भरत कहलाए। आचार्य कुलदीप कृष्ण शुक्ला ने कहा जड़भरत की कथा विष्णुपुराण के द्वितीय भाग में और भागवत पुराण के पंचम कांड में आती है। जब सती के विरह में भगवान शंकर की दशा दयनीय हो गई, सती ने भी संकल्प के अनुसार राजा हिमालय के घर पर्वतराज की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वती जब बड़ी हुईं तो हिमालय को उनकी शादी की चिता सताने लगी। एक दिन देवर्षि नारद हिमालय के महल पहुंचे और पार्वती को देखकर उन्हें भगवान शिव के योग्य बताया। इसके बाद सारी प्रक्रिया शुरु तो हो गई, लेकिन शिव अब भी सती के विरह में ही रहे। ऐसे में शिव को पार्वती के प्रति अनुरक्त करने कामदेव को उनके पास भेजा गया, लेकिन वे भी शिव को विचलित नहीं कर सके और उनकी क्रोध की अग्नि में भस्म हो गए। तीन हजार सालों तक उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की। इसके बाद भगवान शिव का विवाह पार्वती के साथ हुआ।इस मौके पर मुख्य यजमान कमलेश दुबे व पत्नी सरला दुबे,आशीष दुबे, सोनू,विवेक, सूरज दुबे,उपेंद्र, कमल, संजय, राजेश सैनी,महावीर श्रीवास्तव,संतराम समेत सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।