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रिपोर्ट विरेंद्र तोमर /
बागपत/बड़ौत यमुना नदी का जलस्तर लगातार घटने-बढ़ने से किनारों पर मिट्टी कटान का खतरा और गहरा होता जा रहा है। एनसीआर क्षेत्र के खादर इलाकों में नदी का जलस्तर रविवार देर रात एक मीटर कम होकर 180 मीटर पर पहुंच गया, लेकिन कटान की समस्या थमने का नाम नहीं ले रही है। इससे किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
पहाड़ों पर बारिश बंद होने से नदी का जलस्तर कुछ कम हुआ है। हालांकि हथिनीकुंड बैराज से रविवार रात दोबारा छोड़े गए 60 हजार क्यूसेक पानी के चलते नदी का जलस्तर एक बार फिर बढ़ा था। अब रविवार को बैराज से 45 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जो देर रात तक यमुना मे पहुंच गया,
कटान की गंभीरता को देखते हुए सिंचाई विभाग ने शबगा और जागौश गांव में बचाव कार्य शुरू कर दिया है। नदी किनारे बल्ली लगाई जा रही है और मिट्टी से भरे प्लास्टिक के कट्टों के बोरे डाले जा रहे हैं। जिन स्थानों पर कटान ज्यादा है, वहां पेड़ काटकर नदी की धारा की रफ्तार रोकी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि पेड़ डालने से पानी का दबाव टूटता है और नदी की धार अपना रुख बदल लेती है।
स्थिति पर नजर रखने के लिए सिंचाई विभाग के अधिकारी अनिल कुमार निमेष, विकास कुमार शर्मा और रजनीश कुमार बाढ़ प्रभावित जागौश गांव में डेरा डाले हुए हैं। लगातार निगरानी रखी जा रही है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
खादर क्षेत्र के किसानों का कहना है कि कटान रुकने के बजाय बढ़ता जा रहा है। खेतों की मिट्टी बहने से फसलें प्रभावित हो रही हैं और उपजाऊ भूमि लगातार सिकुड़ रही है। ग्रामीणों ने प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग की है।