राजेन्द्र सिंह धुऑंधार

कन्नौज। शरद पूर्णिमा की रात ठठिया और बहसुइया गांव में परंपरागत लोकरीति के अनुसार टेसू और झुंझिया का विवाह विधि–विधान से संपन्न हुआ। देर रात तक चली इस रस्म में ग्रामीणों, बालकों और बालिकाओं ने उल्लासपूर्वक भाग लिया। सुबह से ही गांवों में विवाह की तैयारियां शुरू हो गई थीं। मध्यरात्रि में टेसू और झुंझिया ने सात फेरे लेकर विवाह की रस्म पूरी की। बालिकाओं ने मंगलगीत गाए, जबकि बच्चे ढोल की थाप पर नाचते नजर आए। शरद पूर्णिमा की रोशनी में सजे–धजे टेसू को पालकी में बैठाकर बैंडबाजों के साथ तालाब किनारे ले जाया गया। इसी दौरान झुंझिया को दुल्हन की तरह सजाकर बालिकाओं की टोली लेकर पहुंची। बालकों की टोली में गोविंद, अजय, मानू, विवेक और अभय ने दूल्हा टेसू को सजाया और बारात लेकर तालाब तक पहुंचे। पंडित निर्मलकांत दुबे ने वैदिक मंत्रोच्चार व मंगल गीतों के बीच टेसू और झुंझिया का विवाह संपन्न कराया। इसके बाद दोनों का जल में विसर्जन किया गया।
पंडित दुबे ने बताया कि यह परंपरागत आयोजन विवाह मुहूर्तों की शुरुआत का संकेत देता है।

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