दैनिक ईस्ट इंडिया टाइम्स मनोज कुमार सोनी ब्यूरो रिपोर्ट सिंगरौली

सिंगरौली जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही और डॉक्टरों की मनमानी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिला चिकित्सालय ट्रामा सेंटर, जो गंभीर स्थिति में आए मरीजों की जान बचाने के लिए जाना जाता है, अब खुद विवादों में घिरा हुआ है। आरोप है कि यहां तैनात डॉक्टर मरीजों का सही इलाज करने के बजाय अपने निजी अस्पतालों का प्रचार कर रहे हैं और उन्हें जबरन वहां रेफर कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों और मरीजों के परिजनों का कहना है कि ट्रामा सेंटर में बैठे कई डॉक्टरों ने अस्पताल को अपनी निजी कमाई का साधन बना लिया है। सबसे गंभीर आरोप यह है कि मरीजों को जेनरिक दवाइयों के नाम पर घटिया और गलत दवाएं दी जा रही हैं, जिससे उनकी हालत और बिगड़ जाती है। जब मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है तो डॉक्टर परिजनों पर दबाव डालते हैं और उन्हें अपने निजी अस्पतालों में ले जाकर भर्ती करने की सलाह देते हैं।
वंदना हॉस्पिटल पर गंभीर आरोप
इसी क्रम में सिंगरौली का वंदना हॉस्पिटल इन दिनों चर्चाओं के केंद्र में है। मरीजों ने खुलकर आरोप लगाया है कि यहां डॉक्टर महंगी से महंगी दवाइयां लिखते हैं, जबकि बाजार में वही दवाइयां आधी कीमत पर उपलब्ध होती हैं। बावजूद इसके, हॉस्पिटल की मेडिकल स्टोर पर मरीजों को कई गुना अधिक दामों पर वही दवा खरीदनी पड़ती है।
एक मरीज के परिजन ने शिकायत करते हुए कहा – “डॉक्टर हमें जबरन हॉस्पिटल की दवाइयां लेने के लिए मजबूर करते हैं। बाजार में 200 रुपये की दवा यहां 500 से 600 रुपये में बेची जाती है। इतना ही नहीं, दवा लेने के बाद मरीज की हालत बिगड़ने लगती है और फिर डॉक्टर इलाज के नाम पर उन्हें बाहर रेफर कर देते हैं।”
ट्रामा सेंटर और वंदना हॉस्पिटल की कड़ी
आरोप यह भी है कि जिला चिकित्सालय ट्रामा सेंटर और वंदना हॉस्पिटल के बीच गहरी मिलीभगत है। ट्रामा सेंटर में आने वाले कई मरीजों को जानबूझकर वंदना हॉस्पिटल रेफर किया जाता है। वहां पर उनसे मोटी रकम वसूली जाती है और इलाज के नाम पर लापरवाही की जाती है। गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार ऐसे भ्रष्टाचार का शिकार बनते जा रहे हैं।
मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़
जिला अस्पतालों में तैनात डॉक्टरों की यह हरकत न केवल चिकित्सा सेवा की नैतिकता के खिलाफ है, बल्कि सीधे-सीधे मरीजों की जान से खिलवाड़ करने जैसा है। सवाल यह उठता है कि जब जिला चिकित्सालय ट्रामा सेंटर जैसे बड़े अस्पताल में पर्याप्त संसाधन और दवाइयां मौजूद हैं, तो आखिर मरीजों को निजी अस्पतालों में क्यों धकेला जा रहा है?
प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग
मरीजों और आम नागरिकों ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की जाए। साथ ही ऐसे डॉक्टरों और निजी अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, जो मरीजों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं और अपनी जेब भरने के लिए लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं सवाल यह है कि कब तक सिंगरौली के मरीजों की जिंदगी से इस तरह का खिलवाड़ होता रहेगा और कब तक भ्रष्टाचार की जड़ें स्वास्थ्य सेवाओं को खोखला करती रहेंगी?
वहीं मरीजों के परिजनों का आरोप है कि वन्दना हॉस्पिटल में मेडिकल स्टोर पर मरीजों को जेनेरिक दवाई दिया जाता है। जिससे मरीजों से लाखों रुपया वसूली किया जा रहा है साथ में 800 का दवा देकर 1000 रू का बिल पकड़ा दिया जाता है और भी बहुत कुछ वन्दना हॉस्पिटल की कमियां है आगे विस्तार से बताएंगे???