मुसलमानों को दुनियावी तालीम के साथ साथ दीनी तालीम भी हासिल करनी चाहिए।दिलशाद एडवोकेट
रिपोर्ट मुनीश उपाध्याय।
बिजनौर/धामपुर।
सर सैयद एजुकेशनल एंड रेवुलेशन मिशन के जनरल सेक्रेटरी सैयद दिलशाद एडवोकेट का कहना है कि मुस्लिम बच्चों और बच्चियों को दुनियांवी तालीम के साथ साथ दीनी तालीम भी हासिल करनी चाहिए क्योंकि दुनियांवी तालीम से जहां दुनियां संवरती है वहीं दीनी तालीम से आख़िरत संवरती है दिलशाद एडवोकेट का कहना है कि इस्लाम एक निज़ाम और ऐसा सिस्टम है जिसे दुनियांवी सिस्टम को हमेशा पटरी पर रखा जाता है और ज़िंदगी के मामलात पटरी से नहीं उतरते हैं इस्लाम में जहां रिश्वत लेना,शराब पीना, झूट बोल कर कमाई करना,किसी को झूट बोल कर टरकाते रहना बिलकुल नाजायज़ और हराम है और आज सिस्टम में सबसे ज़्यादा बुराइयां यह ही हैं जिनकी वजह से मुकदमात लंबे समय तक चलते रहते और तारीख़ पर तारीख़ पड़ती रहती हैं और इसके अलावा बाक़ी डिपार्टमेंट में भी इन्हीं बुराइयों की वजह से लोग काफ़ी मायूस और निराश रहते हैं और जो काम एक घंटे में निपटाया जा सकता है उसमें महीनों और साल लग जाते हैं दिलशाद एडवोकेट का कहना है कि इस्लामी तालीम आपको दुनियांवी तालीम हासिल करने से कहीं भी नहीं रोकती है और अल्लाह के नबी मौहम्मद सल्लाहो अलेहे वसल्लम का तो कहना है कि तालीम हासिल करने के लिए अगर चीन भी जाना पड़े तो चीन जाना चाहिए हाफ़िज़ दिलशाद एडवोकेट ने कहा कि चीन में दीनी तालीम का तो कोई ताल्लुक़ और मामला हो ही नहीं सकता ग़ालिबन पैगंबर मुहम्मद साहब की नसीहत और ताकीद यह ही थी कि दीनी तालीम के साथ दुनियांवी तालीम भी हासिल की जाये सैयद दिलशाद एडवोकेट का कहना है कि मुसलमानों को ग़ैर ज़रूरी ख़र्चों से बचते हुए अपना पैसा अपने बच्चे और बच्चियों की तालीम पर ख़र्च करना चाहिए ताकि उनका मुस्तक़बिल और भविष्य शानदार और सुरक्षित हो सके
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