साहिबे हैसियत को अपने रुपये की ज़कात देना फ़र्ज़ है
ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट आदिल अमान

कायमगंज/फर्रुखाबाद
21 वें रोज़ा इफ़्तार के मौके पर दरगाह हज़रत बाबा जूही शाह रहमतुल्लाह अलैह के साहिबे-सज्जादा व ख़लीफ़ा सूफ़ी हज़रत मुशीर अहमद क़ादरी चिश्ती वारसी ने ज़कात व फ़ितरे के बारे में बताया कि नबी करीम हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि जो लोग अपने माल की ज़कात नहीं अदा करेंगे तो क़यामत के दिन उनका माल गंजे सांप की शक्ल में उनके गले में पड़ा होगा और वो अपने जबड़ों से उसके मुंह को पकड़े होगा और कहेगा कि मैं तेरा माल हूं
(बुखारी,जिल्द 1,सफह 188)
ज़कात इस्लाम का चौथा रुक्न है किसी भी मुसलमान के पास 52.2 तोला चांदी या फिर साढ़े 7 तोला सोना है या उसके बदले का कोई माल या रूपया है और उस पर किसी तरह का कोई कर्ज नहीं है तो उस पर 2.5 फीसदी ज़कात फर्ज हैं यानि उसके पास 52500 तक रुपये हैं तो ज़कात वाजिब अब क़र्ज़ का मतलब ये नही कि उसके पास लाखों की दौलत है और क़र्ज़ हजारों में है तो क़र्ज़ निकाल कर जो बचे उस पर ज़कात दे।
फितरा- ईद की नमाज़ से पहले हर मुसलमान पर फ़ितरा अदा करना फ़र्ज़ है और कम से कम 2.045 ग्राम गेहूँ दे या उसके बदले लगभग 60 रुपये दे यहाँ ये समझना ज़रूरी है बल्कि लोगों में आम हो चुका है कि बस इतना ही देना है फ़ितरा देने की कोई मिक़दार नही है बल्कि जो जिस हैसियत का है फ़ितरा अदा करे
और ज़कात का हक़दार वो है जिसकी आमदनी 1 रूपया और ख़र्च 2 रुपया है अब चाहे वो आपकी बहन हो भाई हो पड़ोसी या रिश्तेदार हो इस मौके पर दरगाह सरपरस्त मसूद खान साहब,हाफ़िज़ रिफ़त,ज़मीर अहमद, आमिर हुसैन,नोमान सिद्दीकी,हाफ़िज़ आज़म खान,बबलू टेलर,रफीक भाई,प्यारे खान,धनेश गौढ़,अकील खान,शिवकांत,आदिल अमान,शाहनवाज खान,बाबू खान,सलीम खान,सनी बाथम,हरिओम,शमशाद,करन भारद्वाज,पवन बाथम,कामरान,कौसर,संजय शर्मा,खलील भाई,एड०खुशहाल खाँ, शैलू वर्मा,अज़हर खाँ,सलमान अंसारी,अजमेरी भाई,नागर खाँ,परवेज़,जमील सिद्दीकी,आसिफ़ मंसूरी,रूखसार खान,नावेद खान,विनय सक्सेना,सैयद जमाल,आदि शामिल रहे।


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