रिपोर्ट मुजीब खान

शाहजहांपुर : यह कोई फिल्मी सीन नहीं था यह यह एक रियल सीन जब एक धोती कुर्ता पहने साधारण सा बुजुर्ग व्यक्ति एक फरियादी की तरह अपर जिला अधिकारी वित्त एवं राजस्व अरविंद कुमार के ऑफिस में घुसता है और हाथ जोड़ कर अपर जिला अधिकारी को नमस्कार करता है जिसे देखकर अपर जिला अधिकारी कुर्सी से खड़े हो जाते है क्योंकि साधारण सा दिखने वाला बुजुर्ग व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि उनके जन्मदाता यानी उनके पिता थे जिन्होंने वाराणसी जिले में पीडब्ल्यूडी विभाग में एक छोटे से पद मेट पर कार्य करके अपना तन पेट काट कर अपने बेटे को इस काबिल बनाया कि आज वह एक आईएएस की कुर्सी पर बैठा था।
जी हां हम बात कर रहे है उन्हीं अपर जिला अधिकारी अरविंद कुमार की जिन्होंने जनपद में अपने कम समय के कार्यकाल में ही जिले के गरीब असहाय लोगों को उनका हक दिलाकर एक ईमानदार अधिकारी के रूप छवि बना रखी है। लेकिन आज उनके पिता और उनकी अपने बेटे को दी गई नसीहत की बेटा किसी की हाय मत लेना किसी असहाय और निर्दोष को सताना नहीं और कभी रिश्वत के पैसे को हाथ भी नहीं लगाना सुन कर यह अहसास हो गया कि मेहनत और ईमानदारी की कमाई से पाली गई औलाद बेहतर कार्य ही करती है। आपको बता दे कि अपर जिला अधिकारी अरविंद कुमार के पिता राधेराम जो पीडब्ल्यूडी विभाग में मेट के पद से रिटायर हो चुके है आज पहली जिले में पोस्टिंग के बाद अचानक अपने बेटे से मिलने शाहजहांपुर पहुंच गए जिन्हें देखकर उनके पुत्र भी अचंभित रह गए।
पिता-पुत्र का यह भावनात्मक मिलन और पिता की यह सीख सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। वाराणसी से राधेराम अपने बेटे अरविंद कुमार से मिलने शाहजहांपुर आए और बिना बताए उनके ऑफिस पहुंचे। उस समय अरविंद कुमार अपने काम में व्यस्त थे। राधेराम ने एक आम फरियादी की तरह अपने बेटे को नमस्कार किया। अपने पिता को सामने देखकर अरविंद कुमार भौंचक रह गए। राधेराम अपने बेटे को एडीएम की कुर्सी पर बैठे देख भावुक हो गए और बोले, ये न्याय की कुर्सी है। किसी से रिश्वत न लेना और गरीबों को न सताना। जैसे भगवान के घर न्याय होता है, वैसे इस कुर्सी पर बैठकर न्याय देना। डुप्लीकेट काम बिल्कुल मत करना। गरीबों की हमेशा मदद करना। एडीएम अरविंद कुमार ने अपने पिता की बातों को ध्यान से सुना। पिता को सम्मान देते हुए अपने बराबर में कुर्सी पर बैठाया। अपने जीवन के बारे में राधेराम बोले, मैं अंगूठा छाप हूं, लेकिन मैंने अपने बच्चों को खूब पढ़ाया। मैं पीडब्ल्यूडी में मेट था लेकिन अपने बच्चों की पढ़ाई में कभी कोई कमी नहीं आने दी। अरविंद ने बनारस, इलाहाबाद और दिल्ली में पढ़ाई की है। आर्थिक तंगी रही लेकिन इसके बावजूद बच्चों की शिक्षा से कोई समझौता नहीं किया। अरविंद कुमार ने बताया कि उनकी एक बहन कुमारी चिंता टीचर हैं। उनके दो भाई घनश्याम और सूरज हैं। दोनों चीनी निगम में तैनात हैं। उनकी मां धनरावती का वर्ष 2018 में निधन हो गया था। 18 फरवरी 2025 में वह एडीएम पद पर शाहजहांपुर में तैनात हुए। इस समय वह शाहजहांपुर में अपनी पत्नी सौम्या के साथ रहते हैं।
अरविंद कुमार ने 2010 में ग्रेजुएशन पूरा किया। 2011-12 में उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया। 2013 में वह पीसीएस (PCS) में सिलेक्ट हुए। 2015 में ट्रेनिंग के लिए उनकी पोस्टिंग बलिया में हुई थी। फिर लखनऊ में ट्रेनिंग हुई, कुशीनगर में उनकी पहली पोस्टिंग एसडीएम (SDM) पद पर हुई थी। वह चार साल कुशीनगर में रहे। एक साल सुल्तानपुर में रहने के बाद उनका प्रमोशन हुआ। इसके बाद वह उत्तर प्रदेश राज्य चीनी मिल निगम शुगर फैक्ट्री बहराइच में जनरल मैनेजर के पद पर रहे।