ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट सुधीर सिंह

कायमगंज / फर्रूखाबाद।
विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय प्रगतिशील फोरम द्वारा गोष्ठी आयोजन किया गया। बिना किसी रोक टोक के निरंतर प्रदूषित हो रहे पर्यावरण के लिए विकसित देश जिम्मेदार हैं। यही देश विकास के नाम पर महाविनाश का ताना बाना बुन रहे हैं और विश्व पर्यावरण दिवस भी मना रहे हैं। विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय प्रगतिशील फोरम द्वारा आयोजित परिचर्चा मे उक्त वक्तव्य देते हुए प्रो. राम बाबू मिश्र रत्नेश ने कहा की भौतिक विकास की अंधी दौड़ मे सडक व रेल पथनिर्माण, उद्योगों की स्थापना, पहाड़ो पर उत्खनन तथा मानव बस्तियों के बेतरतीव विस्तार की आड़ मे वन वृक्ष को उजाड़ा जा रहा है l प्राचीन ऋषियों ने वृक्ष एवं वनस्पतियों को भगवान शिव की जटाएँ बताया था, जो जहरीली गैसों का स्वयं पान करके अमृतमयी ऑक्सीजन निकालती हैं l हंसा मिश्रा ने कहा पर्यावरण प्रदूषण कारण नहीं नतीजा है । जिससे ओजोन परत बढ़ रही है l धरती व समुद्र का तापमान ख़तरनाक स्तर पर है l भूगर्भ जल का स्तर नीचे जा रहा है l हिमनद सूख रहे हैं l पहाड़ दरक रहे हैं l हम आँखें बंद किये हुए हैं l पूर्व प्रवक्ता ईश्वर दयाल दीक्षित ने कहा की सरकारी पौधरोपण कार्यक्रमों मे जब तक जन सहभागिता नहीं होगी, हरियाली धरती के बजाय कागज़ो पर ही अंकित रहेगी। पूर्व प्रधानाचार्य अहिवरन सिंह गौर ने कहा कि प्रकृति मानव के जीवन और जीविका के साधन तो दे सकती है, उसकी निरंतर बढ़ती तृष्णा को शांत नहीं कर सकती है l प्रधानाचार्य शिवकांत शुक्ल ने कहा कि हम सब मिल कर ऐसा जतन करें कि हमारी आने वाली नस्ले शुद्ध हवा मे सांस लें l शुद्ध जल पियें l शुद्ध अन्न व फल प्राप्त करें तथा प्रदूषण रहित धरती पर खेलें कूदे। शिक्षक नेता जे पी दुबे ने कहा कि प्रत्येक नागरिक यदि अपनी जिम्मेदारी समझें, जागरूक हो तो पर्यावरण प्रदूषण की समस्या हल हो सकती है l राज्य व्यवस्थाएं सचेत हो सकती है l कवि वी एस तिवारी ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण का मूल कारण हमारा मानसिक प्रदूषण ही है l