ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट मनोज जौहरी

फर्रुखाबाद/अमृतपुर/
कस्बे मे स्थित ब्रिटिश कालीन पुलिस चौकी का जन सहयोग द्वारा नव निर्माण कराया गया. दुल्हन की तरह सजाई गई पुलिस चौकी आज भी शुभारम्भ का इंतजार कर रही है. पुलिस चौकी पर ज़िलें के वरिष्ठ अधिकारीयों की नेम प्लेट भी लगाई जा चुकी है. पुलिस चौकी की बाउंड्री के अंदर दबंग लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है उसके अंदर दुकान का निर्माण कर लिया है अवैध कब्जा धारकों को बेदखल करने के लिए ग्रामीणों द्वारा जनपद के वरिष्ठ अधिकारीयों को कई बार लिखित पत्र भी दिया जा चुका है. पुलिस चौकी परिसर मे कब्ज़ा करने वालों के विरुद्ध कोई एक्शन नहीं लिया गया है.दबंग माफिया नहीं चाहते हैँ की उनका कब्ज़ा हटे और पुरानी पुलिस चौकी दोबारा से स्थापित नहीं हो ग्रामीणों का आरोप है दबंग लोग अपराधियों को शरण देते हैँ वो नहीं चाहते हैँ उनका वर्चस्व खतरे मे पड़े,
पुलिस चौकी की स्थापना सन 1942 में ब्रिटिश कलेक्टर मिस्टर हैरिस ने गंगा पार के बीहड़ इलाके में पुलिस चौकी अमृतपुर की स्थापना की थी यह पुलिस चौकी सरकारी भूमि पर स्थित है जिसमें हवालात सरकारी कार्यालय मंदिर एवं पुलिस कर्मियों के लिए आवास बगीचा कुआं आदि है पहले ही मौजूद है ये पुलिस चौकी अमृतपुर हुआ करती थी इसका थाना राजेपुर हुआ करता था सन 1990 में अमृतपुर थाने की स्थापना हो गई थाने की स्थापना के बाद से ये पुलिस चौकी खाली हो गई तब से यह पुलिस चौकी खंडर बनने लगी इसकी देख भाल ग्रामीणों के हवाले हो गई और पास के ग्रामीण इसकी देरेख करने लगे वक्त बढ़ता गया और धीरे धीरे इस पुलिस चौकी पर दबंगों की निगाह पड़ने लगी और अवैध कब्ज़ा धारकों ने पुलिस चौकी के परिसर मे अपना कब्ज़ा जमाना शुरू कर दिया इसका ग्रामीणों द्वारा कई बार विरोध भी किया गया दबंगई के बल पर अवैध कब्ज़ा कर लिया गया, कई बार अवैध कब्ज़े की शिकायत पुलिस और प्रशासन की गई कार्यवाही नाम मात्र कागज़ो मे उलझ कर रह गई, और नतीजा ये हुआ अवैध कब्ज़ा आज तक बरकरार है,अधिकारी एक दुसरे पर टालमटोल की कार्यवाही करने लगे रहे, ब्रटिश कालीन पुलिस चौकी से माफिया किस्म के लोगो द्वारा अवैध कब्ज़ा मुक्त नहीं किया जा सका.पुलिस चौकी थाना अमृतपुर से डेढ़ 2 किलोमीटर दूर कस्बे में स्थिति है.जिसमें श्री नारायण उर्फ कुन्नू, जगदीश नारायण उर्फ बुद्धू, पुत्रगण रामशंकर रामबाबू पुत्र राम सागर निवासी कस्बा व थाना अमृतपुर जिला फर्रुखाबाद उक्त ब्रिटिश कालीन पुरानी पुलिस चौकी की बाउंड्री के अंदर अवैध रूप से कब्जा जमाकर कर बैठे हैँ. और इसमें मकान दुकान गैराज आदि बना रखे हैं ब्रिटिश कालीन पुरानी पुलिस चौकी कस्बे मे हैँ अमृतपुर कस्बे मे ग्रामीणों का आए दिन उत्पीड़न होता रहता है इसीलिए सभी ग्राम वासियों ने पुलिस चौकी को दोबारा से शुरू कराने के लिए अपने योगदान /सहयोग से ब्रिटिश कालीन पुलिस चौकी को संचालित योग्य बनाया गया, इसकी खबर प्रशासन तक पहुंचाई गई राजस्व विभाग ने इस भूमि की कई बार पैमाइश भी की, जिलाधिकारी से लेकर ज़िलें के पुलिस कप्तान क्षेत्राधिकारी,थाना अध्यक्ष उप जिला अधिकारी ने इस भूमि का का कई बार निरीक्षण किया इसके उपरांत सरकारी भूमि पर पुलिस सहयोग एवं जन सहयोग के द्वारा पुलिस चौकी का निर्माण कार्य करवाया गया.चौकी मे सन 1981 का बना हुआ शिवजी का मंदिर चौकी इंचार्ज यासर गोडसे ने बनवाया था वह मंदिर आज भी निर्मित है परंतु अभी तक इस सरकारी भूमि पर काबिज दबंगों के पक्के निर्माण को नहीं हटाया जा सका ग्रामीण व स्थानीय निवासी चाहते हैं कि जिस भूमि पर दशकों पहले से पुलिस चौकी स्थापित रही है अब उस पर से अवैध कब्जा हटाया जाए सरकारी आदेश के इंतजार में सभी ग्रामीण है इसे कब्जा मुक्त किया जा सके जन सहयोग द्वारा व पुलिस सहयोग द्वारा बनाई गई ब्रिटिश कालीन पुलिस चौकी का उद्घाटन कर फोर्स तैनात करना अति आवश्यक है यह कार्य समस्त क्षेत्र की जनता के हित में होगा,निर्माण कार्य पूरा होने के बाद पुनः पुलिस चौकी को दुल्हन की तरह सजा दिया गया और उसके संचालन के लिए शुभारम्भ की पूर्ण तैयारियां कर दी गई पुलिस चौकी आज भी उन अधिकारीयों का इंतेज़ार देख रही है, ग्रामीण आज भी राह तक रहे हैँ कब से इसमें अधिकारी और कर्मचारी बैठने आएंगे, पुलिस चौकी को दोबारा से संचालित नहीं करना था तो ग्रामीणों से सहयोग किसलिए माँगा था, अगर सहयोग लिया था टी पुलिस चौकी का शुभारम्भ कियों नहीं किया गया ग्रामीणों मे इसकी भी चर्चा हो रही है.
क्या शासन और प्रशासन ब्रटिश कालीन पुलिस चौकी को फिर से स्थापित करवाता है या ये सिलसिला यूं ही चलता रहगा?

By jamal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *